हमारे बारे में
महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), उत्तराखण्ड भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के अधीन कार्य करता है, जो भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग (IA&AD) के प्रमुख हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं, जिनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति की अनुशंसा पर की जाती है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के कार्य एवं शक्तियाँ मुख्य रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 तथा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, अधिकार एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 के अंतर्गत निहित हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक, उपर्युक्त संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत राज्य सरकारों के लेखों के संकलन हेतु उत्तरदायी हैं।
लेखा संधारण का दायित्व
डी.पी.सी. अधिनियम, 1971 की धारा 10 से 12 एवं 23, संघ, राज्यों एवं विधायिकाओं वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लेखों के संकलन से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की जिम्मेदारियों से संबंधित हैं। इन प्रावधानों के अंतर्गत नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक राज्य के लेखों का संकलन करते हैं, उनसे संबंधित आवश्यक अभिलेख रखते हैं तथा प्रतिवर्ष राज्य के विनियोग लेखा (Appropriation Accounts) एवं वित्तीय लेखा (Finance Accounts) तैयार करते हैं। इन विनियोग एवं वित्तीय लेखों पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के हस्ताक्षर होते हैं और तत्पश्चात उन्हें राज्यपाल के माध्यम से राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाता है।
उत्तराखण्ड महालेखाकार कार्यालय का कार्यक्षेत्र
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक संगठन के एक भाग के रूप में, महालेखाकार (ले. एवं ह.), उत्तराखण्ड, देहरादून राज्य सरकार के मासिक एवं वार्षिक लेखे (मासिक सिविल लेखा/वित्त एवं विनियोग लेखा) तैयार करने तथा वार्षिक वित्तीय एवं विनियोग लेखों को नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के हस्ताक्षर उपरांत राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत कराने हेतु उत्तरदायी है। यह कार्यालय राज्य सरकार के कर्मचारियों एवं माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund) लेखों, ऋण एवं अग्रिम खातों, पेंशन भुगतान की प्राधिकृति (विशेष मुहर) का संधारण करता है। साथ ही, लेखा एवं हकदारी संबंधी विषयों में राज्य सरकार को आवश्यक परामर्श भी प्रदान करता है।