जीपीएफ के लिए क्या करें और क्या न करें
सामान्य भविष्य निधि के लिए क्या करें और क्या न करें :-
आहरण और संवितरण अधिकारी
सामान्य भविष्य निधि से धन आरहण के देयकों एवं सामान्य भविष्य निधि से संबंधित अन्य पत्राचार में सामान्य भविष्य निधि शिड्यूल, अग्रिम/आहरण के स्वीकृति ओदेशों में पूरा नाम (संक्षिप्त नहीं) और प्रत्यय (सफिक्स) के साथ सही सामान्य भविष्य निधि खाता संख्या लिखा जाना चाहिए।
पूरा नाम एवं सही खाता संख्या के साथ शिड्यूल स्पष्ट रूप से छपा हुआ या साइकोस्टाईल्ड किया हुआ एवं नकल त्रुटि से बचाव हेतु आवधिक परिवर्तित होना चाहिए।
शिड्यूल में खाता संख्या बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किए जाने चाहिए। अलग से सफिक्स प्राप्त अंशदाताओं के लिए अलग से पी.एफ. शिड्यूल तैयार किया जाना चाहिए जैसे जीए(ओ), ईडीएन(ओ)।
अन्य कार्यालयों में अंशदाता के स्थानांतरण या कार्यग्रहण के मामले में इस तथ्य को सामान्य भविष्य निधि शिड्यूल के अभियुक्ति कॉलम में उल्लिखित करना चाहिए।
अंशदान की परिवर्तित दर को शिड्यूल के अभियुक्ति कॉलम में अभिलेखित करना चाहिए। अग्रिम की वसूली को सामान्य भविष्य निधि शिड्यूल के अलग कॉलम में दर्शाना चाहिए।
जब राजकोष में सामान्य भविष्य निधि की राशि जमा की जाए तो चालान में प्रत्येक अंशदाता का पूर्ण विवरण जैसे पूरा नाम, सही खाता संख्या, अंशदान, वापसी तथा कुल का उल्लेख किया जाए।
सामान्य भविष्य निधि से धन आहरण करने वाले देयक के साथ सा.भ.नि. की नवीनतम लेखा पर्ची एवं स्वीकृति आदेश की एक प्रति संलग्न की जाए।
महालेखाकार ओडिशा द्वारा जारी की गई लेखा पर्ची की जांच अंशदाता को सौंपने से पहले की जाए इसमें भूल/त्रुटि, यदि हो, तो उसे तीन महीने के अंदर महालेखाकार, ओडिशा के संज्ञान में लाया जाए। यदि लेखा पर्ची के आहरण कॉलम में कोई भूल हो तो उस पर विशेष ध्यान दिया जाए। गलत आहरण की जानकारी महालेखाकार को देने में असफलता के परिणामस्वरूप अंशदाता के खाते में बाद में ऋण शेष हो जाता है जो सेवानिवृत्ति के उपरांत परेशानी का कारण हो सकता है।
अंशदाता की सेवानिवृत्ति के पूर्व अंतिम अदायगी आवेदन पत्र समय से प्राप्त किया जाना चाहिए।