• ऋण के मामले कभी-कभी अधूरे रूप में प्राप्त होते हैं, जैसे कि स्वीकृति आदेश/वसूली विवरण आदि पत्र के साथ संलग्न नहीं होते। कुछ मामलों में स्वीकृति आदेश प्राप्त होते हैं, लेकिन किस्तों की जारी करने की स्वीकृति नहीं मिलती।
  • कुछ मामलों में स्वीकृति आदेशों में दिया गया ब्याज दर सरकार द्वारा निर्धारित दर से मेल नहीं खाता।
  • कभी-कभी ऋण आवेदन सीधे इस कार्यालय को ऋण प्राप्तकर्ता द्वारा भेज दिए जाते हैं, यानी उन्हें उच्च प्राधिकारी के माध्यम से नहीं भेजा जाता।