ऋणों और अग्रिमों के लेखे बनाए रखने में केरल वित्तीय संहिता, केरल खज़ाना संहिता, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की लेखा संहिता और स्थायी आदेश पुस्तिका (ले व ह) के प्रावधान और स्था.आ.पु. (ले व ह) के आधार पर तैयार कार्यालय नियम-पुस्तिका का पालन किया जाता है ।
सरकार सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक निकायों और सरकारी कर्मचारियों को ऋण और अग्रिम देती है । इनमें से कुछ ऋण और अग्रिम विशेष कानूनों के तहत, अन्य विशेष कारणों के लिए या मान्यता प्राप्त नीति के रूप में किए जाते हैं । ऋण और अग्रिम जो विशेष कानूनों के तहत हैं या जिनके संबंध में सरकार ने कोई सामान्य नियम या आदेश जारी किए हैं, उन मामलों को छोड़कर महालेखाकार यह मांग कर सकते हैं कि ऋण या अग्रिम मंजूर करनेवाले आदेशों में इसे बनाने के कारणों के साथ-साथ यह किन शर्तों पर किया गया है, पूर्ण रूप से उल्लिखित करें । महालेखाकार को यह देखना चाहिए कि ऋण या अग्रिम की अदायगी की शर्तों का पालन देनदार द्वारा किया जाता है और मूलधन की अदायगी और ब्याज की वसूली, यदि कोई हो, पर कड़ी नजर रखनी चाहिए । बकाया ऋणों और अग्रिमों की समीक्षा के समय, पुनर्भुगतान में अनियमितताओं, शेष राशियों की पावती और अलभ्य एवं संदिग्ध परिसंपत्तियों पर विशेष ध्यान दिया जाना है ।