हमारे बारे में
महालेखाकार के कार्यालय भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सी ए जी) के तहत भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग का हिस्सा हैं । भा.नि.एवं म.ले.प., भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक संवैधानिक प्राधिकारी है । भा.नि. एवं म.ले.प. के कार्य मुख्य रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 तक के प्रावधानों के अधीन व्युत्पन्न हैं । संविधान के अनुच्छेद 148 (3) और 149 के तहत 1971 में संसद द्वारा भा.नि. एवं म.ले.प. के कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें (डीपीसी) अधिनियम, 1971 पारित किया गया था ।
स्वतंत्रता से पहले, ट्रावनकोर देशी रियासत ने तिरुवनंतपुरम में अपने मुख्यालय के साथ दक्षिण केरल के अधिकांश क्षेत्रों पर शासन किया, जबकि, कोचिन (कोच्चि) देशी रियासत ने आधुनिक कोचिन, तृश्शूर, पालक्काड़ और मलप्पुरम के अधिकांश पर शासन किया । जुलाई 1949 में ट्रावनकोर-कोचिन राज्य के रूप में इन दोनों राज्यों का विलय हुआ । श्री पी एन पद्मनाभ पिल्लै, जो ट्रावनकोर राज्य के महालेखाकार थे, वे एकीकृत कार्यालय के प्रमुख बने रहे और कोचिन राज्य के नियंत्रक श्री के गोविंद मेनोन ने वरिष्ठ उप महालेखाकार का पदभार ग्रहण किया ।
ट्रावनकोर-कोचिन 26 जनवरी, 1950 को भाग-ख राज्य बना और अप्रैल 1950 में हुए संघीय वित्तीय एकीकरण के साथ लेखापरीक्षा और लेखाकरण कार्य भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक का उत्तरदायित्व बन गए । कार्यालय का पदनाम बदलकर नियंत्रक, ट्रावनकोर और कोचिन कर दिया गया और तत्कालीन राज्य महालेखाकार श्री गोविंद मेनोन नियंत्रक बने ।
नवंबर 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के साथ, नया राज्य केरल बना, जिसमें पूर्व राज्य ट्रावनकोर-कोचिन, मलबार जिला और कासरगोड तालुका शामिल थे । इस कार्यालय को 1960 में महालेखाकार के स्तर पर अद्यतित किया गया और ट्रावनकोर-कोचिन राज्य के अंतिम नियंत्रक श्री एस वासुदेवन को केरल के पहले महालेखाकार के रूप में नियुक्त किया ।
मार्च 1982 में, कार्यालय को दो इकाइयों में, प्रत्येक को महालेखाकार प्रथम और महालेखाकार द्वितीय के रूप में पदनामित एक महालेखाकार के अधीन पुनर्गठित किया गया । महालेखाकार प्रथम को केरल सरकार का प्रधान लेखापरीक्षा और लेखा अधिकारी घोषित किया गया और राज्य सरकार को मासिक लेखाओं के प्रस्तुतीकरण और वित्त और विनियोजन लेखाएं और लेखापरीक्षा रिपोर्ट (सिविल) तैयार करने के लिए उत्तरदायी बनाया गया । महालेखाकार द्वितीय को राज्य की प्राप्तियों और वाणिज्यिक उपक्रमों की लेखापरीक्षा का कार्य सौंपा गया ।
मार्च 1984 में, कार्यालय को अलग-अलग कार्यात्मक श्रेणियों में पुनर्गठित किया गया । महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) को राज्य सरकार के लेखाकरण और हकदारी कार्य सौंपे गए और महालेखाकार (लेखापरीक्षा) को केरल में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कार्यालयों के लेन-देनों की लेखापरीक्षा का कार्य सौंपा गया ।
अप्रैल 2012 से एक मुख्य पुनर्गठन के परिणामस्वरूप, कार्यक्षेत्र-वार लेखापरीक्षा के पालन में लेखापरीक्षा कार्यालयों को दो कार्यालयों में पुनर्गठित किया गया । वे हैं, महालेखाकार (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा) का कार्यालय, जो मुख्यतः केरल सरकार में सामान्य और सामाजिक क्षेत्र के तहत समूहीकृत विभागों/एजेंसियों/ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/ स्वायत्त निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी है; और महालेखाकार (आर्थिक और राजस्व क्षेत्र लेखापरीक्षा) का कार्यालय, जो केरल सरकार में आर्थिक और राजस्व क्षेत्र के तहत समूहीकृत विभागों/एजेंसियों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/स्वायत्त निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी है । जबकि पूरी तरह से केरल सरकार से संबंधित लेखापरीक्षा के लिए इन दोनों कार्यालयों का गठन किया गया था, लेकिन केरल में कार्यरत केंद्र सरकार के कार्यालयों से संबंधित लेखापरीक्षा, महानिदेशक लेखापरीक्षा (केंद्रीय) का कार्यालय, चेन्नै के नाम से क्षेत्रवार नवगठित कार्यालय, जिसका कोच्ची में एक शाखा कार्यालय है, को सौंप दिया गया । यह शाखा कार्यालय स्वायत्त निकायों सहित केरल में स्थित सभी केंद्र सरकारी इकाइयों के व्यय और प्राप्ति की लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी है । इन कार्यालयों में तैनात सभी स्टाफ सदस्यों का संवर्ग नियंत्रण महालेखाकार (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा), केरल के कार्यालय के पास निहित है ।
कोट्टयम, एरणाकुलम, तृश्शूर और कोष़िकोड में हमारे शाखा कार्यालय हैं ।