ऋणों के निम्नलिखित वर्गों में शामिल प्रत्येक व्यक्तिगत ऋण से संबंधित वसूली की महालेखाकार (ले व ह) द्वारा निगरानी और लेखांकन किया जाता है ।
I- सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक निकायों को ऋण और अग्रिम
II- सरकारी कर्मचारियों को ऋण और अग्रिम
I) सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक निकायों को ऋण और अग्रिम
(क) सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक संस्थाएं जिनको सरकार द्वारा ऋण और अग्रिम मंजूर किए जाते हैं ।
- पत्तन न्याय और अन्य पत्तन निधि, जल प्राधिकरण को ऋण ।
- नगर निगमों और नगर पालिकाओं को ऋण ।
- सांविधिक निगमों और बोर्डों को ऋण ।
- जिला और अन्य स्थानीय निधि समितियों को ऋण ।
- पंचायती राज संस्थाओं को ऋण ।
- राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए स्थानीय निकायों को ऋण ।
(ख) अन्य ऋण और अग्रिम
निम्न सी-प्रक्रिया (ट) के तहत उल्लिखित के अलावा मुख्य लेखा शीर्ष 6075 से 7475 व 7615 के अधीन ऋण लेन-देनों के विस्तृत लेखे, विभागीय अधिकारियों द्वारा रखे जाते हैं ।
ऋण संवितरण का लेखांकन, मांगें उठाना, ऋणों और ब्याज की वसूली का लेखांकन आदि विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी है ।
II) सरकारी कर्मचारियों को ऋण और अग्रिम
सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम जिनके लेखे महालेखाकार (ले व ह) द्वारा अनुरक्षित किया जाता हैं, निम्नानुसार हैं :-
(क) लंबी अवधि में वसूल की जाने वाली ब्याज युक्त अग्रिम
- गृह निर्माण अग्रिम - ब्याज सहित 216 मासिक किस्तों में वसूली योग्य
- मोटर परिवहन अग्रिम- ब्याज सहित 144 किस्तों में वसूली योग्य ।
- मोटर साइकिल अग्रिम- ब्याज सहित 96 किस्तों में वसूली योग्य ।
- व्यक्तिगत कंप्यूटर अग्रिम और
- ब्याज युक्त अग्रिम जो 60 से अधिक किस्तों में वसूली योग्य नहीं है (जैसे साइकिल अग्रिम, फैन अग्रिम, मच्छरदानी अग्रिम, गरम कपड़े अग्रिम)।
(ख)चिकित्सा व्यय के लिए ब्याज मुक्त ऋण
सरकारों ने 2002 में अपने कर्मचारियों को गृह निर्माण अग्रिम, मोटर परिवहन अग्रिम और व्यक्तिगत कंप्यूटर अग्रिम के लिए ऋण देना बंद कर दिया है । 2010 के बाद से सरकार द्वारा कर्मचारियों को गृह निर्माण अग्रिम बहाल किया गया था । अब मितव्ययिता के उपायों के भाग के रूप में, सरकार ने फिर से सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए गृ.नि.अ. योजना को बंद करने का फैसला किया है और अप्रैल 2019 से बैंकों के सहयोग से राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए एक नई गृह निर्माण अग्रिम योजना शुरू की है ।
01.04.1974 से, महालेखाकार की जिम्मेदारी ऊपर (क) में उल्लिखित अराजपत्रित अधिकारियों को दीर्घकालिक अग्रिमों और राजपत्रित अधिकारियों को उपर्युक्त अग्रिमों की सभी श्रेणियों के संबंध में विस्तृत लेखाओं के रख-रखाव तक सीमित कर दी गई है । अराजपत्रित अधिकारियों के ऊपर की श्रेणी (क (5)) के संबंध में विस्तृत लेखे विभागीय अधिकारियों द्वारा रखे जाने हैं जो इन अग्रिमों के संवितरण और वसूली के लिए उत्तरदायी हैं ।
मुख्य नियंत्रक अधिकारियों के रूप में लेखाओं के समाधान के लिए विभागाध्यक्ष उत्तरदायी होंगे । उन्हें विभिन्न आहरण और संवितरण अधिकारियों से ऊपर श्रेणी (क (5)) के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों में सभी संवितरण और वसूलियों के मासिक विवरण प्राप्त करने चाहिए और महालेखाकार की बहियों में लेखांकित लेन-देनों के साथ आवधिक रूप से समाधान करना चाहिए ।
गृह निर्माण अग्रिम
के.वि.सं. खंड 1 के अनुच्छेद 244 में राज्य के अधिकारियों को गृह निर्माण अग्रिम देने की शर्तें निर्धारित हैं । केंद्र सरकारी कर्मचारियों को गृह आदि के निर्माण के लिए अग्रिम प्रदान करने को विनियमित करने के नियम, मुद्रित पुस्तिका में निर्माण कार्य, आवास एवं पुनर्वास मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं ।
उपयोगिता प्रमाण-पत्र
केरल वित्तीय संहिता (केएफसी) खंड.I के अनुच्छेद 244 सी (xxi) में यह प्रावधान है कि स्वीकृत अग्रिम का उपयोग यथोचित समय, जो राशि के संवितरण की तारीख से एक वर्ष से अधिक न हो, के भीतर उस उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए यह स्वीकृत किया जाता है । जैसा कि के.वि.सं. खंड.I के अनुच्छेद 244 ई (vi) में दिया गया है, अग्रिम के उपयोग की निगरानी और ऋणी द्वारा प्रस्तुत उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) सत्यापन के लिए महालेखाकार को अग्रेषित करना विभागाध्यक्ष/स्वीकर्ता प्राधिकारी का कर्तव्य होगा । यदि उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो के.वि.सं. खंड.I के अनुच्छेद 244 डी (2) के तहत 2.5% की दर पर दंडात्मक ब्याज वसूल किया जाएगा । इसके अलावा, उपयोग नहीं की गई राशि ब्याज के साथ एकमुश्त में सरकार को वापस की जानी चाहिए । जब महालेखाकार के कार्यालय में उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त न होने की सूचना मिलती है तो कुछ ऋणी यह सूचित करते हैं कि उन्होंने पहले ही विभागाध्यक्ष/स्वीकर्ता प्राधिकारी को उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था । ऋणी को असुविधा से बचाने के लिए, स्वीकर्ता प्राधिकारी/विभागाध्यक्ष को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऋणी द्वारा लिए गए गृ.नि.अ. से संबंधित उपयोगिता प्रमाण-पत्र बिना चूक के महालेखाकार को अग्रेषित किए जाते हैं ।
के.वि.सं. खंड 1 के अनुच्छेद 244डी (2) के द्वारा 2.5% पर दंडात्मक ब्याज वसूल किया जाएगा । स.आ. (एमएस) सं.53/2019/फिन/दिनांक 03.05.2019 के द्वारा दंडात्मक ब्याज की दर 2.5% की मौजूदा दर के बजाय 18% के रूप में संशोधित किया गया है ।
चूकी जमा
गृ.नि.अ. या मो.प.अ. से संबंधित चूकी जमा/नामे को वेतन बिल/प्रदत्त वाउचरें, भुगतान सूची, लेखापरीक्षा पंजियां, कटौतियों के प्रमाण-पत्र, संवितरण अधिकारियों से भुगतान जैसे दस्तावेज़ी/संपार्श्विक साक्ष्य के आधार पर, रु.2000 तक के प्रत्येक मामले में शाखा अधिकारियों और रु.2000 से अधिक राशि होने पर ग्रुप अधिकारियों का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद समायोजित किया जाना है । ऋणी के लेखे में दिए गए डेबिट/क्रेडिट की राशि को मुख्य शीर्ष '8658-उचंत लेखा' - सीएस सं.265 दिनांक 5.04.1982 द्वारा एलएमएमएच को, के अधीन लघु शीर्ष 'उचंत लेखा (सिविल)’ के नीचे नोट (2) के अनुसार खोले गए शीर्ष ‘गृह निर्माण अग्रिम उचंत'/’मोटर परिवहन अग्रिम उचंत’ के तहत लेखाओं में समायोजित किया जाना चाहिए ।
स्वायत्त निकायों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रतिनियुक्त राज्य सरकार के अधिकारियों के दीर्घकालिक ऋणों के चूकी जमा को स्वायत्त निकायों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत सरकारी लेखे को वसूली के प्रेषण के ब्यौरों के आधार पर संपार्श्विक साक्ष्य पर समायोजित किया जा सकता है, बशर्ते कि यह प्रमाणित किया जाता है कि एक ही चालान के माध्यम से कई व्यक्तियों से वसूलियों की एकमुश्त राशि संबंधित राज्य सरकार के लेखे में जमा की गई है ।
सेवा में रहते हुए मृत्यु होनेवाले सरकारी कर्मचारियों के मामले
स.आ.(पी) सं. 591/97 दिनांक 17/06/1997 द्वारा सरकार ने सेवा के दौरान मृत कर्मचारियों को दिए गए ऋणों और अग्रिमों की 2 लाख रुपये तक की बकाया देयताओं को बट्टे खाते डालने/अधित्याग करने की योजना शूरु की है । स.आ.(पी) सं. 91/17/फिन दिनांक 17.07.2017 द्वारा सेवा के दौरान मृत कर्मचारियों को दिए गए ऋणों और अग्रिमों पर बकाया देयता की मौद्रिक सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है ।