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भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) का यह प्रतिवेदन राज्य सरकार के चयनित विभागों की अनुपालन लेखापरीक्षा में उजागर हुए मामलों से सम्बंधित है | अनुपालन लेखापरीक्षा, राजस्व मूल्यांकन, संग्रहण और समुचित आवंटन पर प्रभावी जाँच के लिए नियमों एवं प्रक्रियाओं की रचना करने तथा लेखापरीक्षित इकाइयों के व्ययों से सम्बंधित लेनदेनों की जाँच से संदर्भित है तथा यह सुनिश्चित करने कि क्या भारत के संविधान, लागू कानूनों, नियमों, विनियमों एवं सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जारी विभिन्न आदेशों एवं निर्देशों के प्रावधानों की अनुपालना की जा रही है |
प्रतिवेदन का प्राथमिक उद्देश्य लेखापरीक्षा के महत्वपूर्ण परिणामों को राज्य विधानसभा के समक्ष लाना है | लेखापरीक्षा मानकों के लिए यह आवश्यक है कि रिपोर्टिंग की महत्ता का स्तर लेनदेनों की प्रकृति, मात्रा एवं परिमाण के अनुसार होना चाहिए । लेखापरीक्षा के निष्कर्ष इस प्रत्याशा से होते हैं कि ये कार्यपालिका को सुधारात्मक कार्यवाही करने में समर्थता प्रदान करेंगे तथा नीतियाँ और दिशानिर्देश बनाने में भी जिससे संगठन के वित्तीय प्रबंधन में सुधार होगा एवं इस प्रकार सुशासन में योगदान करेंगे |
इस प्रतिवेदन के दो भाग हैं:
भाग-क में राजस्व उपार्जन विभागों यथा वाणिज्यिक कर, भू-राजस्व, पंजीयन एवं मुद्रांक तथा राज्य आबकारी की लेखापरीक्षा के दौरान पाये गये लेखापरीक्षा आक्षेप सम्मिलित हैं |
भाग-ख में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किये गये व्ययों से संबंधित लेखापरीक्षा आक्षेप सम्मिलित हैं |