लेखा परीक्षा का दायरा
(क) इस कार्यालय के कार्य (लेखापरीक्षा योजना वर्ष 2019-20 तक)
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पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत किए गए व्यय की लेखापरीक्षा।
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सरकार द्वारा मूलतः वित्तपोषित स्वायत निकायों/प्राधिकरणों (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत) के लेखों की लेखापरीक्षा।
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उन सब स्वायत निकायों/प्राधिकरणों के लेखों की लेखापरीक्षा जिनको यद्यपि मूलतः वित्तपोषित नहीं किया गया लेकिन वे नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (डी॰पी॰सी॰) के अंतर्गत लेखापरीक्षा का विषय है अथवा जिनकी लेखापरीक्षा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के सुपुर्द की गयी हैं।
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सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लेखों की लेखापरीक्षा।
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महालेखाकार (लेखा व हकदारी) पश्चिम बंगाल कार्यालय द्वारा समेकित राज्य सरकार के वार्षिक लेखों (वित्त लेखा तथा विनियोजन लेखा) की लेखापरीक्षा और तत्संबंधी प्रमाणीकरण।
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पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र) को तैयार करना तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत उसको राज्यपाल के सम्मुख प्रस्तुत करना।
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पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन (राज्य के वित्त) को तैयार करना तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत उसको राज्यपाल के सम्मुख प्रस्तुत करना।
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भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों की जांच में पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति की सहायता करना।
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विश्व बैंक तथा अन्य बाहरी मदद वाली परियोजनाओं पर व्यय का प्रमाणीकरण। केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं और राज्य योजनाओं पर व्यय का भी प्रमाणीकरण करना।
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पंचायती राज संस्थाओं (जिला परिषद, पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा)।
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शहरी स्थानीय निकायों तथा अन्य स्थानीय निकायों की लेखापरीक्षा।
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स्थानीय लेखों के परीक्षक के प्रतिवेदनों का प्रकाशन (पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों/अन्य स्थानीय निकायों के लिए पृथक प्रतिवेदन)।
इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त कार्य मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटे जाते हैं- केंद्रीय लेखापरीक्षा और स्थानीय लेखापरीक्षा।
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केंद्रीय लेखापरीक्षा स्कन्ध में कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा व हकदारी) पश्चिम बंगाल से प्राप्त सनदों की सत्यता की जांच उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा जारी की गयी संस्वीकृति के संदर्भ में की जाती है, आदि।
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सरकार के कार्यालयों की स्थानीय लेखापरीक्षा के दौरान लेखा अभिलेखों की जांच की जाती है, यह देखने के लिए कि क्या उनका उचित अनुरक्षण किया जा रहा है।
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, लेखापरीक्षा कार्य को निम्नवत वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
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वित्तीय लेखापरीक्षा (इसको प्रमाणीकरण लेखापरीक्षा भी कहा जाता है)
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अनुपालना लेखापरीक्षा
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निष्पादन लेखापरीक्षा
(ख) राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों के क्लस्टर आधारित न्यायिक पुनर्गठन के परिणामस्वरूप इस कार्यालय के कार्य (लेखापरीक्षा योजना वर्ष 2020-21 से)
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पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा समस्त विभागों के अंतर्गत किए गए व्यय की लेखापरीक्षा। यह विभाग निम्नवत सात क्लस्टरों के अंतर्गत आते हैं:
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स्वास्थ्य एवं कल्याण
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कौशल विकास तथा रोजगार
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वित्त
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ग्रामीण विकास
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खाद्य एवं संबद्ध उद्योग
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जल संसाधन
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कानून एवं व्यवस्था
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सरकार द्वारा मूलतः वित्तपोषित स्वायत निकायों/प्राधिकरणों (उपर्युक्त सात क्लस्टरों के अंतर्गत) के लेखों की लेखापरीक्षा।
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उपर्युक्त सात क्लस्टरों के अंतर्गत आने वाले विभागों द्वारा वसूल की गयी राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों की लेखापरीक्षा (जिनके नाम हैं, वस्तु एवं सेवा कर, स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण, राज्य आबकारी, व्यवसाय कर, विद्युत शुल्क, मनोरंजन कर इत्यादि)।
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उन क्लस्टरों में आने वाले स्वायत निकायों/प्राधिकरणों के लेखों की लेखापरीक्षा जिनको यद्यपि मूलतः वित्तपोषित नहीं किया गया लेकिन वे नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (डी॰पी॰सी॰) के अंतर्गत लेखापरीक्षा का विषय है अथवा जिनकी लेखापरीक्षा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के सुपुर्द की गयी हैं।
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इन सात क्लस्टरों के अंतर्गत राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लेखों की लेखापरीक्षा।
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महालेखाकार (लेखा व हकदारी) पश्चिम बंगाल कार्यालय द्वारा समेकित राज्य सरकार के वार्षिक लेखों (वित्त लेखा तथा विनियोजन लेखा) की लेखापरीक्षा और तत्संबंधी प्रमाणीकरण।
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पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन (राज्य के वित्त) को तैयार करना तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत उसको राज्यपाल के सम्मुख प्रस्तुत करना।
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इस कार्यालय के लेखापरीक्षा अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत पश्चिम बंगाल सरकार के क्लस्टरों/विभागों पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन को तैयार करना और इसको भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत राज्यपाल के सम्मुख प्रस्तुत करना।
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भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों की जांच में पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति की सहायता करना।
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विश्व बैंक तथा अन्य बाहरी मदद वाली परियोजनाओं पर व्यय का प्रमाणीकरण जैसा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्यालय द्वारा सुपुर्द किया गया है। केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं और राज्य योजनाओं पर व्यय का भी प्रमाणीकरण करना।
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पंचायती राज संस्थाओं (जिला परिषद, पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा)।
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अन्य स्थानीय निकायों (ट्रस्ट की निधियों सहित) जो इस कार्यालय के लेखापरीक्षा अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभागों से प्रशासनिक रूप से जुड़े हुए हैं, की लेखापरीक्षा।
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पंचायती राज संस्थाओं पर स्थानीय लेखों के परीक्षक के प्रतिवेदनों को प्रकाशित करना।
इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त कार्य मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटे जाते हैं- केंद्रीय लेखापरीक्षा और स्थानीय लेखापरीक्षा।
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केंद्रीय लेखापरीक्षा स्कन्ध (जिसको वित्तीय लेखापरीक्षा स्कन्ध कहा जाता है) में कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा व हकदारी) पश्चिम बंगाल से प्राप्त सनदों की सत्यता की जांच उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा जारी की गयी संस्वीकृति के संदर्भ में की जाती है, आदि।
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सरकार के कार्यालयों की स्थानीय लेखापरीक्षा के दौरान लेखा अभिलेखों की जांच की जाती है, यह देखने के लिए कि क्या उनका उचित अनुरक्षण किया जा रहा है।
आगे, लेखापरीक्षा कार्य को निम्नवत वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
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वित्तीय लेखापरीक्षा (इसको प्रमाणीकरण लेखापरीक्षा भी कहा जाता है)
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अनुपालना लेखापरीक्षा
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निष्पादन लेखापरीक्षा