हमारे परिचय
राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों का क्रमिक विकास
नवंबर 1985, में भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का विभाजन लेखापरीक्षा और लेखा में किया गया था। परिणामस्वरूप, 1 नवंबर 1985 से पृथक लेखापरीक्षा कार्यालय अस्तित्व में आया।
लेखापरीक्षा कार्यालय का भी विभाजन निम्न दो कार्यालयों में किया गया था
- महालेखाकार (लेखापरीक्षा प्रथम), पश्चिम बंगाल
- महालेखाकार (लेखापरीक्षा द्वितीय), पश्चिम बंगाल
तब से पुनः नामकरण करने/पुनर्गठन संबंधी घटनाओं के कालक्रम निम्नानुसार थे
दिनांक |
कार्यालय-I |
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कार्यालय-II |
नवंबर 1985
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महालेखाकार (लेखापरीक्षा प्रथम), पश्चिम बंगाल (स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग सहित) |
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महालेखाकार (लेखापरीक्षा द्वितीय), पश्चिम बंगाल
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अप्रैल 2002 राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों का पुनः नामकरण |
प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा), पश्चिम बंगाल
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महालेखाकार (प्राप्ति, निर्माण एवं स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा), पश्चिम बंगाल (स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग का स्थानांतरण कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा प्रथम) पश्चिम बंगाल से इस कार्यालय में हुआ था) |
अप्रैल 2012 (क्षेत्रीय समानता- सामान्य, सामाजिक एवं आर्थिक के आधार पर राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों का पुनर्गठन) |
प्रधान महालेखाकार (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा), पश्चिम बंगाल (स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग का पुनः महालेखाकार (आर॰डब्ल्यू॰एल॰बी॰ए॰) से स्थानांतरण हुआ था) अधिकार क्षेत्र की रूपरेखा:
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महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखापरीक्षा), पश्चिम बंगाल अधिकार क्षेत्र की रूपरेखा:
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दिनांक |
कार्यालय-I |
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कार्यालय-II |
मई 2020 (राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों का क्लस्टर आधारित पुनर्गठन) |
प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा प्रथम), पश्चिम बंगाल अधिकार क्षेत्र की रूपरेखा: सभी राज्य सरकार के विभागों को उनके प्रयोजनमूलक समानता के आधार पर सोलह विभिन्न क्लस्टर्स के अंतर्गत समूहीकृत किए गए थे। निम्न सात क्लस्टर्स लेखापरीक्षा प्रथम कार्यालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत हैं
इस नयी व्यवस्था के अंतर्गत स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग के कार्य इन दो कार्यालयों के बीच विभाजित हो जाते हैं। पंचायती राज संस्था एवं उपर्युक्त सात क्लस्टर्स के अंतर्गत आने वाले अन्य स्थानीय निकायों का लेखापरीक्षण लेखापरीक्षा प्रथम के साथ बना हुआ है।
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प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा द्वितीय), पश्चिम बंगाल अधिकार क्षेत्र की रूपरेखा: सभी राज्य सरकार के विभागों को उनके प्रयोजनमूलक समानता के आधार पर सोलह विभिन्न क्लस्टर्स के अंतर्गत समूहीकृत किए गए थे। निम्न नौ क्लस्टर्स लेखापरीक्षा द्वितीय कार्यालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत हैं
स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग के कार्य का विभाजन होने से शहरी स्थानीय निकायों एवं उपर्युक्त नौ क्लस्टर्स के अंतर्गत आने वाले अन्य स्थानीय निकायों का लेखापरीक्षण लेखापरीक्षा द्वितीय को स्थानांतरित हो गया था। |
स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग (स्था॰लेप॰वि॰)
स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: प्रथम में स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग का गठन नगरपालिकाओं के साथ ही साथ वित्त विभाग का एक अधिकारी जो कि स्थानीय लेखाओं का परीक्षक कहलाता था तथा महालेखाकार कार्यालय से संबद्ध था, के द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच किए गए लेखाओं को रखने के उद्देश्य से वर्ष 1880 में किया गया था। 1921 के सुधारों के अंतर्गत साथ ही साथ भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा लागू किए गए संविधान के अंतर्गत “स्थानीय निधियों” की लेखापरीक्षा एक प्रांतीय विषय बना दी गयी थी और उस रूप में यह भारत के महालेखापरीक्षक के सांविधिक कर्तव्यों का हिस्सा नहीं रही। तथापि, बंगाल सरकार द्वारा पहले की तरह विभागों के नियंत्रण भारत के महालेखापरीक्षक को देने का निर्णय लेते हुए, तदनुसार बंगाल सरकार एवं भारत के महालेखापरीक्षक के बीच सहमति आधारित एक व्यवस्था का निर्माण किया गया था। महालेखापरीक्षक द्वारा यह निर्णय लिया गया कि सहमति आधारित किसी नए लेखापरीक्षा को शुरू करने के पहले उनकी पूर्व सहमति निरपवाद रूप से प्राप्त करनी होगी [संदर्भ: महालेखापरीक्षक के संख्या 951-प्रशा॰/172-45 दिनांक 5 अगस्त 1945- केस संख्या 164 में फ़ाइल किया गया]। यह व्यवस्था नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के (कर्तव्य, शक्तियां एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 के अधिनियमन के बाद तक भी जारी रही। चूंकि विभाग को, जिसके लिए प्रांतीय सरकार उत्तरदायी थी, की लेखापरीक्षा सौंपी गयी थी, विभाग के सम्पूर्ण प्रभार प्रांतीय राजस्वों को विकलनीय थे। प्रथम अवस्था में विभाग के लागत भारत सरकार के नामे किए जाते हैं एवं बाद में राज्य सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाती है। स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग, पश्चिम बंगाल स्थानीय लेखाओं के दो परीक्षकों जो कि भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के वरिष्ठ उप महालेखाकार/उप महालेखाकार पद के अधिकारी होते हैं, के तत्काल प्रभार के अंतर्गत है। स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग का अपना पृथक प्रशासन, कैडर नियंत्रण, बजट एवं व्यय है।
(2) स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग के कार्य: स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग, पश्चिम बंगाल के कार्य हैं:- 1. राज्य में स्थानीय निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा करना जैसा कि इसे पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संबन्धित अधिनियमों, नियमों इत्यादि के अंतर्गत समय-समय पर विभिन्न अधिसूचनाएं जारी करके सौंपी जाए। 2. स्थानीय निकायों की लेखाओं को प्रमाणित करना जैसा कि संबन्धित अधिनियमों, नियमों इत्यादि द्वारा अपेक्षित हो। 3.संबन्धित अधिनियमों, नियमों इत्यादि द्वारा निर्धारित तरीके से लेखापरीक्षा निष्कर्षों का स्थानीय निकायों को रिपोर्ट करना। 4. स्थानीय निकायों या उनके द्वारा निष्पादित योजनाओं से संबन्धित निष्पादन लेखापरीक्षा का संचालन करना जैसा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के कार्यालय द्वारा या उनके अनुमोदन से सौंपा जाए। 5. स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण लेखापरीक्षा निष्कर्षों का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के (कर्तव्य, शक्तियां एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 14 के अनुसार राज्य के सिविल लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में रिपोर्ट करना। 6. पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों के पृथक लेखापरीक्षा प्रतिवेदन तैयार करना। 7. इसके प्रतिवेदनों पर आवश्यक एवं उपयुक्त अनुवर्ती कार्रवाई करना।
(3) वर्तमान व्यवस्था: जैसा कि उपर सूचित किया गया है, पश्चिम बंगाल के राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों के क्लस्टर आधारित पुनर्गठन जैसा कि मई 2020 में अधिसूचित किया गया है, के होने से स्थानीय लेखापरीक्षा विभाग के कार्य दो कार्यालयों के बीच विभाजित किए जाते हैं:
कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा प्रथम), पश्चिम बंगाल |
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कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा द्वितीय), पश्चिम बंगाल |
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