लेखा परीक्षा कार्यक्षेत्र
लेखा परीक्षा अधिदेश की पूर्ति हेतु, लेखा परीक्षा उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा निम्नलिखित मुख्य लेखा परीक्षा किए जाते हैं:
(1) वित्तीय लेखा परीक्षा यह तय करने कि क्या एक एंटिटी की वित्तीय विवरणियां और सूचनाएँ सही प्रकार से तैयार की गईं है, सभी तरह से पूर्ण हैं और निर्धारित वित्तीय रिपोर्टिंग के अनुसार पर्याप्त प्रकटन के साथ प्रस्तुत की गईं है; और, लेखा परीक्षक को पर्याप्त और उपयुक्त साक्ष्य इकट्ठा कर संपादित करने के बाद यह राय देने के लिए सक्षम करता है कि क्या वित्तीय विवरणी और सूचना एंटिटी के वित्तीय स्थिति का सही और उचित आकलन करता है और धोखाधड़ी या त्रुटि के कारण महत्वपूर्ण गलतबयानी से मुक्त है, से संबन्धित है।
(2) अनुपालना लेखा परीक्षा एक स्वतंत्र, उद्देश्यपरक और विश्वसनीय आकलन है कि क्या एक दिया गया विषय-वस्तु (एक क्रियाकलाप वित्तीय या गैर-वित्तीय लेन-देन, एक एंटिटी या एंटिटियों का एक समूह के संबंध में सूचना) लागू क़ानूनों, नियमों, विनियमों, स्थापित संहिताओं आदि सभी महत्वपूर्ण संदर्भों और सुदृढ़ लोक वित्तीय प्रबंधन को शासित करने वाले सामान्य सिद्धांतों और जन अधिकारियों के आचरण के अनुपालन में है।
(3) कार्यनिष्पादन लेखा परीक्षा एक स्वतंत्र, उद्देश्यपरक और विश्वसनीय जांच यह देखने के लिए है कि क्या सरकारी एंटिटीज, संस्थान, परिचालन, कार्यक्रम, निधि, गतिविधियां (उनके निवेश, प्रक्रिया, निर्गम, परिणाम और प्रभाव के साथ) मितव्ययिता, दक्षता और प्रभावकारिता के अनुसार परिचालित हैं और क्या इसमें सुधार की कोई गुंजाइश है।
(4) वैसे लेखा परीक्षा भी किए जा रहे हैं जिसमें वित्तीय, अनुपालना और कार्यनिष्पादन लेखा परीक्षा के सभी या कुछ पहलू शामिल हैं।
(5) प्रमाणीकरण/अनुपूरक लेखा परीक्षा: वित्त और विनियोग लेखा और इस कार्यालय के नियंत्रणाधीन सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रमों का प्रमाणीकरण।