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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर्यावरणीय रूप से स्वीकार्य तरीके से ठोस अपशिष्ट के पृथक्करण, संग्रहण, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और निस्तारण की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है वर्तमान में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शहरी क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या है जो शहरी क्षेत्रों के भीतर विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं और प्रतिकूल सामाजिक प्रभावों को जन्म देती है
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत 2016 के दौरान बनाये गये विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन नियम अपशिष्ट के निस्तारण और प्रबंधन के लिये एक वैधानिक ढांचा प्रदान करते हैं वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन का उपयोग करके प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण या कमी के लिए व्यापक योजना तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर दिशानिर्देश निर्गत किये गये हैं।
उत्तर प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दक्षता और प्रभावशीलता का आँकलन करने के लिए अप्रैल 2016 से मार्च 2022 तक की अवधि को आच्छादित करते हुये शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की निष्पादन लेखापरीक्षा सम्पादित की गयी थी। इस प्रतिवेदन में वह प्रकरण उल्लिखित हैं जो 2016-17 से 2021-22 की अवधि के लिए नमूना लेखापरीक्षा के दौरानप्रकाश में आये और साथ ही वह भी प्रकरण जो पूर्व के वर्षों में प्रकाश में आये थे, लेकिन विगत लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों में उल्लिखित नहीं किये जा सके, इसके अतरिक्त वर्ष 2021-22 के बाद जो प्रकरण प्रकाश में आयें उन्हें भी यथास्थान शामिल किया गया है।