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इस प्रतिवेदन में राज्य सरकार के कुछ विभागों और उनके स्वायत निकायों के अनुपालन लेखापरीक्षा के दौरान प्रकाश में आए मामलों को शामिल किया गया है। इस प्रतिवेदन का प्राथमिक उद्देश्य लेखापरीक्षा के महत्वपूर्ण परिणामों को विधानमंडल के ध्यान में लाना है। लेखापरीक्षा के निष्कर्षों से उम्मीद है कि कार्यकारी को सुधारात्मक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी, साथ ही ऐसी नीतियाँ और निर्देश तैयार करने में मदद मिलेगी जिससे संगठनों के वित्तीय प्रबंधन में सुधार होगा और बेहतर प्रशासन में योगदान मिलेगा।
प्रतिवेदन को तीन अध्यायों में निम्नानुसार व्यवस्थित किया गया है:
अध्याय 1 में पिछले पाँच वर्षों के व्यय की संक्षिप्त रूपरेखा के साथ लेखापरीक्षित विभागों की रूपरेखा, झारखण्ड सरकार द्वारा जुटाए गए राजस्व की प्रवृत्ति और लंबित करों की वसूली, लेखापरीक्षा के लिए प्राधिकरण, लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकार, योजना और लेखापरीक्षा का संचालन, विभिन्न लेखापरीक्षा परिणामों पर सरकार की प्रतिक्रिया, जैसे कि निरीक्षण प्रविवेदन, पृथक अवलोकन/ कंडिकाएं, निष्पादन लेखापरीक्षा (नि.ले.), विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा (वि.वि.अ.ले.), लेखापरीक्षा प्रविवेदन पर अनुवर्ती कार्रवाई, आदि महत्वपूर्ण लेखापरीक्षा अवलोकन इस लेखापरीक्षा प्रविवेदन में शामिल हैं।
अध्याय 2 में 'पथ कार्यों के अनुबंधों में मूल्य समायोजन का प्रबंध', 'झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) द्वारा टैरिफ, बिलिंग, राजस्व का संग्रहण और सब्सिडी प्रबंधन' तथा ‘जी.एस.टी. भुगतान और दाखिल विवरणी पर विभाग की निगरानी’ पर विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षाओं से संबंधित अवलोकन शामिल हैं।
अध्याय 3 में राज्य सरकार के पाँच विभागों के व्यय और राजस्व पर 10 अनुपालन लेखापरीक्षा कंडिकाएं शामिल हैं।