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लेखाकार महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), पंजाब का संक्षिप्त इतिहास
1947
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भारत के विभाजन के उपरांत शिमला में पंजाब के लेखाकार महालेखाकार कार्यालय की स्थापना।
1966
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राज्यों के पुनर्गठन के बाद कार्यालय का नामकरण लेखाकार महालेखाकार, पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश किया गया।
1966 के बाद
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प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने हेतु कार्यालय को तीन भागों – पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में विभाजित किया गया।
1 अप्रैल 1969
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पुनर्गठित राज्य संरचना को बेहतर सेवा देने के लिए कार्यालय का चंडीगढ़ स्थानांतरण।
1 मार्च 1984
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लेखा एवं लेखा परीक्षा कार्यों के विभाजन के उपरांत कार्यालय को स्वतंत्र लेखा कार्यालय के रूप में पुनर्गठित किया गया।
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तब से यह कार्यालय लेखाकार महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), पंजाब, चंडीगढ़ के रूप में कार्य कर रहा है।
1989
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कार्यालय के विभिन्न विंग नए निर्मित भवन में स्थानांतरित।
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राज्य सरकार के कर्मचारियों की पेंशन प्राधिकरण प्रक्रिया का कम्प्यूटरीकरण आरंभ।
1991
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विभिन्न विषयों की पुस्तकों के साथ मनोरंजन पुस्तकालय की स्थापना।
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मुख्यालय से कार्य आवंटन के उपरांत 1 अप्रैल 1991 से कोषागार निरीक्षण कार्य प्रारंभ।
1994
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क्रेच “अनिंदिता” का उद्घाटन 16 मार्च 1994 को श्रीमती इंदिरा सोमैया द्वारा, महिला कर्मचारियों के छोटे बच्चों की देखभाल हेतु।
1999
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वी.एल.सी. प्रणाली लागू, मैनुअल लेखा प्रविष्टियों के स्थान पर; इसके बाद से राज्य सरकार को कम्प्यूटरीकृत लेखे भेजे जाने लगे।
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प्रतिवर्ष क्षेत्रीय एवं अंतःक्षेत्रीय खेल प्रतियोगिताओं (हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल, बैडमिंटन आदि) का आयोजन।
2006
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राज्य सरकार सेवानिवृत्त/कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण की स्थिति को कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया।
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नंगल एवं पटियाला स्थित शाखा कार्यालयों को मुख्य कार्यालय में स्थानांतरित किया गया।
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मुख्यालय द्वारा इस कार्यालय को संयुक्त वित्त एवं राजस्व खातों के संकलन का स्थायी दायित्व सौंपा गया।
2011
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सिस्टम ऑटोमेटेड इनिशिएटिव (SAI) पेंशन प्रोग्राम का शुभारंभ 25 जुलाई 2011 को पेंशन विंग में।
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पंजाब सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण एवं संशोधन प्रकरणों के निस्तारण हेतु लागू।
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पेंशन, ग्रेच्युटी एवं समायोजन संबंधी वाउचरों का मिलान भी SAI पेंशन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रारंभ।