अधिदेश

रक्षा लेखापरीक्षा विभाग का अधिदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 तक से लिया गया है। अनुच्छेद 151 के अनुसार, संघ के लेखाओं से संबंधित भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किए जांएगे जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएंगे। रक्षा सेवाओं के संबंध में भारत सरकार की प्राप्तियों और व्यय की सांविधिक लेखापरीक्षा रक्षा लेखापरीक्षा विभाग द्वारा की जाएगी। ऐसी लेखापरीक्षा विभाग निम्नलिखित विभागाध्यक्ष (एचओडी) कार्यालयों से बना है:-

  • महानिदेशक, लेखापरीक्षा (रक्षा सेवाएं), नई दिल्ली
  • प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा (वायु सेना), नई दिल्ली
  • महानिदेशक लेखापरीक्षा (नौसेना), नई दिल्ली
  • महानिदेशक लेखापरीक्षा (आयुध निर्माणीयाँ), कोलकता
  • महानिदेशक, रक्षा सेवाएं (चंडीगढ़)
  • प्रधान निदेशक, लेखापरीक्षा, रक्षा सेवाएं (पुणे)

नौसेना, वायुसेना और आयुध निमार्णियों की रिपोर्ट, प्रत्येक वर्ष उनसे संबंधित विभागाध्यक्षों द्वारा अनुमोदन के लिए भारत के नियंत्रण और महालेखापरीक्षक को अलग से प्रस्तुत की जाती है। महानिदेशक, लेखापरीक्षा (रक्षा सेवाएं) नई दिल्ली थल सेना, अंतर सेवा संगठन, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रक्षा लेखा विभाग से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार है। इसमें महालेखापरीक्षा, रक्षा सेवा (चंडीगढ़) के महानिदेशक और लेखापरीक्षा, रक्षा सेवा (पुणे) के प्रधान निदेशक से प्राप्त पैरा भी शामिल हैं।

रक्षा सेवाओं से संबंधित विनियोग खाते सचिव (रक्षा वित्त) द्वारा तैयार किये जाते हैं और महानिदेशक लेखापरीक्षा, रक्षा सेवाओं को अग्रेषित किए जाते हैं, जो जांच के बाद प्रत्येक वर्ष 30 मार्च तक उन्हें नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को प्रस्तुत करता है।

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