विधायी समितियाँ:- भारत सरकार के व्यय के लिए संसद द्वारा दी गई राशि के विनियोग को दर्शाने वाले खाते सरकार के वार्षिक वित्त खाते और सदन के समक्ष रखे गए ऐसे अन्य खाते जिन्हें समिति उचित समझे, की जांच करने के लिए हर साल 22 सदस्यों (15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से) वाली लोक लेखा समिति का गठन किया जाता है। भारत सरकार के विनियोग खातों और उस पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट की जांच में, समिति को संतुष्ट करना होगा:

(ए) कि खातों में दिखाए गए पैसे वितरित किए जाने के रुप में कानूनी रुप से उपलब्ध थे, और उस सेवा या उद्देश्य के लिए लागू थे जिसके लिए उन्हें लागू किया या लगाया गया था।

(बी) कि व्यय उस प्राधिकरण के अनुरुप है जो इसे नियंत्रित करता है।

(सी) कि प्रत्येक पुनर्विनियोग सक्षम प्राधिकारी द्वारा बनाए गए नियमों के तहत इस संबंध में किए गए प्रावधानों के अनुसार किया गया है।

समिति का यह भी कर्तव्य होगा-

(ए) राज्य निगमों, व्यापार एवं विनिर्मित योजनाओं संगठन एवं परियोजनाओं के आय और व्यय दिखाने वाले खाते, बैलेंस सीट के साथ लाभ एवं हानि दिखाने वाले वे खाते जिन्हें भारत के राष्ट्रपति के आदेशनुसार, इन संस्थाओं से संबंधित वित्त को विनयमित करने वाले वैधानिक प्रावधानों के तहत तैयार किया गया हो और जिस पर नियंत्रण और महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट हो।

(ब) स्वायत और अर्ध स्वायत निकायों की आय और व्यय को दर्शाने वाले खातों के विवरण की जांच करने के लिए, जिसकी लेखापरीक्षा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा या राष्ट्रपति के निर्देशों के तहत या संसद के एक कानून द्वारा आयोजित की गई हो; और

(सी) उन मामलों में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए जहां राष्ट्रपति ने उन्हें  प्राप्तियों की लेखापरीक्षा करने या स्टोर एवं स्टॉक की जांच करने के लिए कहा गया हो।

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