कर्त्तव्य और शक्तियाँ

(i) महालेखापरीक्षा, रक्षा सेवाएं रक्षा मंत्रालय के लिए प्रधान लेखापरीक्षा अधिकारी है और सीएजी के एमएसओ (प्रशासन) के पैराग्राफ 1:16:16 के तहत गंभीर प्रकृति के मामलों में भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को रिपोर्ट देने के लिए जिम्मेदार है। किसी भी मामले में जिसमें सचिव, रक्षा मंत्रालय (वित्त) लेखापरीक्षा बिंदु पर महानिदेशक की राय स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, ऐसे मुद्दे पर नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को निर्णय के लिए कहा जा सकता है। महानिदेशक चाहे तो किसी बिंदु पर जिसमें वह स्वयं संदेह में हैं, और यदि रक्षा प्राधिकरणों का कोई भी निर्णय जो उनकी राय में सिविल महालेखाकार को प्रभावित कर सकता है भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक सिविल लेखापरीक्षा और लेखा कार्यालयों में प्रक्रिया में परिवर्तन के बारे में महानिदेशक को सूचित करेंगे जिसके लिए रक्षा लेखा कार्यालयों में तदनुरुप परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है।

(iii) महानिदेशक समय-समय पर और वर्ष में कम से कम एक बार अपने शाखा कार्यालयों (जो स्वतंत्र रुप से कार्य कर रहे हैं, चाहे वह उसी स्टेशन में हों या किसी अन्य स्टेशन, पर चाहे वह आईए एंड एएस अधिकारी या समूह ‘बी’ अधिकारी स्तर में संचालित हो) का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान अवलोकित की गई कमियों और अनियमितताओं (प्रशासनिक और तकनीकी दोनों) पर एक रिपोर्ट निरीक्षण तथा उस पर की गई उपचारात्मक और अनुवर्ती कार्रवाई को 3 महीने के भीतर मुख्यालय में समन्वय अनुभाग को भेजी जाएगी और इस मुख्यालय के निरीक्षण के दौरान इसको निरीक्षण दल को भी दिखाया जाएगा।

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