प्रधान महालेखाकार(लेखापरीक्षाII) का कार्यालय,केरला को निम्न कार्य सुपुर्द किए गए हैं :
सरकार द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तीय सहायता प्राप्त स्वायत्त निकायों/ प्राधिकरणों (उपर्युक्त आठ समूहों के तहत) के लेखाओं की लेखापरीक्षा ।
- वित्त
- ऊर्जा एवं बिजली
- उद्योग एवं व्यापार
- परिवहन
- पर्यावरण, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी
- सार्वजनिक निर्माण
- सूचना प्रौद्योगिकी तथा संचार
- संस्कृति एवं पर्यटन
उपर्युक्त आठ समूहों (माल एवं सेवा कर, सडक कर, स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण, राज्य उत्पाद शुल्क, बिजली शुल्क आदि नामक) के तहत विभागों द्वारा एकत्रित राज्य सरकार के राजस्व प्राप्तियों की लेखापरीक्षा ।
उन स्वायत्त निकायों/ प्राधिकरणों के लेखाओं की लेखापरीक्षा जो उन समूहों से हैं जिनकी पर्याप्त रूप से वित्तीय सहायता प्राप्त न होने के बावजूद नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के (कर्तव्य, शक्तियां एवं सेवा शर्तें) अधिनियम के तहत लेखापरीक्षा आवश्यक है या जिनकी लेखापरीक्षा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को सुपुर्द की गयी हो ।
इन आठ समूहों के तहत राज्य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लेखाओं की लेखापरीक्षा ।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार केरला सरकार पर भारत के नि.म.ले.प. (राज्य वित्त) की रिपोर्ट तैयार करना और राज्यपाल को उसका प्रस्तुतीकरण ।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार इस कार्यालय के लेखापरीक्षा कार्यक्षेत्र के तहत आनेवाले केरला सरकार के समूहों /विभागों पर भारत के नि.म.ले.प. की रिपोर्ट तैयार करना और राज्यपाल को उसका प्रस्तुतीकरण ।
भारत के नि.म.ले.प. की रिपोर्टों की जांच करने में केरला विधान सभा की लोक लेखा समिति (लो.ले.स) तथा सा.क्षे.उपक्रम समिति (सा.क्षे.उप.स) की सहायता करना ।
इसके अलावा, उपरोक्त कार्यों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है, यानि कि केंद्रीय लेखापरीक्षा तथा स्थानीय लेखापरीक्षा:
- केंद्रीय लेखापरीक्षा स्कंध (एकीकृत लेखापरीक्षा एकक के तौर पर नामकृत) में, उचित प्राधिकारी आदि द्वारा जारी मंजूरियों के संदर्भ में व्यय की सटीकता निश्चित करने के लिए प्रधान महालेखाकार ( ले व ह) से प्राप्त वाउचरों की जांच की जाती है ।
- स्थानीय लेखापरीक्षा में लेखाओं एवं अभिनेखों की जांच यह देखने के लिए की जाती है कि राजस्व एकत्रित किया गया है/ व्यय बुक किया गया है और अभिलेखों का समुचित रूप से अनुरक्षण किया जाता है ।