कार्य

संवैधानिक प्रावधान

भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 के प्रावधानों के तहत अपने अधिकार प्राप्त करते हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 149 में यह प्रावधान है कि भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक, संघ और राज्यों तथा  किसी भी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में, ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेंगे और ऐसे कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, जो संसद द्वारा निर्धारित किया गया हो या संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के अधीन हो|  सीएजी को अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए, संसद ने 15 दिसंबर 1971 को नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 लागू किया था।

लेखापरीक्षा से संबंधित सामान्य प्रावधान

लेखापरीक्षा से संबंधित प्रावधान नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 13 से 21, 23 और 24 में सन्निहित हैं।
नोट: अधिनियम की धारा 21 लेखाओं और लेखापरीक्षा दोनों से संबंधित है।

भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग के कर्तव्य

नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के अधीन कार्यरत, भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग,उपरोक्त अधिनियम की धारा 21 के प्रावधानों के तहत, उनकी ओर से, अपने कर्तव्यों के निर्वहन करने की शक्तियाँ तथा प्राधिकार प्राप्त करता है। समय-समय पर नियंत्रक और महालेखापरीक्षक द्वारा जारी विशेष और सामान्य निर्देशों के तहत, महालेखाकार और भारतीय लेखा तथा लेखापरीक्षा  विभाग के अन्य अधिकारी और प्रतिष्ठान ऐसे कर्तव्यों और कार्यों का निष्पादन करते हैं जो संविधान के प्रावधानों या संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक पर लागू किए गए हों या उनके द्वारा किए जाते हों ।

यह आवश्यक है कि एक महालेखाकार, लोक व्यय में नियमितता सुनिश्चित करने और औचित्यता लागू करने के लिए, संबंधित सरकार के साथ निकट समन्वय में काम करें| किसी भी वित्तीय नियम या आदेश की अवहेलना या किसी भी प्राधिकारी द्वारा निर्धारित लेखाओं के रखरखाव की विफलता के मामलों में महालेखाकार, वित्त मंत्रालय / विभाग की सहायता लेने के  हकदार हैं। वह, जहाँ आवश्यक हो, उनकी सहायता ले सकते हैं|

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