केंद्रीय व्यय लेखा परीक्षा
व्यय की लेखापरीक्षा
लेखापरीक्षा अधिदेश
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 13 के उपबन्धों के अधीन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का भारत की और प्रत्येक राज्य और विधान सभा वाले संघ राज्य क्षेत्र की समेकित निधि से किये जाने वाले सभी व्यय की लेखापरीक्षा करने का कर्त्तव्य है।
लेखापरीक्षा उद्देश्य
व्यय की लेखापरीक्षा का मूल उद्देश्य यह जाँच करना है कि क्या
- उन सीमाओं, जिनके अन्दर व्यय किया जा सकता है, सक्षम प्राधिकारी द्वारा निधि प्राधिकृत की गई है; (ii) किया गया व्यय अधिनियम, संविधान और उसके अधीन बनाए गए कानूनों के सुसंगत उपबन्धों के अनुरूप है कि वह सक्षम प्राधिकारी द्वार बनाये गये वित्तीय नियमों और विनियमों के अनुसार है; (iii)व्यय को प्राधिकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रदान की गई विशेष या सामान्यद्वारा प्रदान की गई विसेेार बनायोर विधान सभा वाले संघ राज्य क्षेत्र की समेकित निधि संस्वीकृति है एवं (iv) जाँच के अन्तर्गत आने वाले सभी वित्तीय संव्यवहार लेखाओं में सही रूप में दर्ज कर लिए गए हैं और उपयुक्त लेखा शीर्षों को आबंटित कर दिए गए हैं।
अधिनियम का यह प्रावधान शर्त लगाता है कि व्यय वित्तीय औचित्य के व्यापक और सामान्य सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों जिनमें इन सिद्धान्तों के भंग होने के परिणामस्वरूप अनुचित व्यय या लोक धन का अपव्यय हुआ हो, उन पर लेखापरीक्षा द्वारा वैसी ही कार्रवाई करनी चाहिए जैसे कि अनियमित या अप्राधिकृत व्यय के मामले में की जाती है।
अपने व्यापक अर्थ में व्यय की अनियमितताओं में ऐसा व्यय भी शामिल माना जाना चाहिए जो ऐसे उद्देश्य पर किया गया हो, जिससे अपेक्षित परिणाम प्राप्त न हुए हों अथवा दूसरे शब्दों में व्यय दक्षतापूर्वक नहीं किया गया हो। यह सुनिश्चित करने की दृष्टि से कि विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को मित्व्ययता और दक्षतापूर्वक कार्यान्वित किए जा रहे हैं और उनसे अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो रहे हैं, व्यय की “मितव्ययता, दक्षता एवं प्रभावकारिता लेखापरीक्षा’’ का बहुत महत्व है। इसके अतिरिक्त सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग को लोगों को कतिपय सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिदेश प्राप्त हैं। अतएव, मंत्रालयों/विभागों की कार्यप्रणाली की एकीकृत लेखापरीक्षा अथवा व्यापक लेखापरीक्षा उस सीमा जहां तक एक विशिष्ट सरकारी विभाग अपने अधिदेश के अनुसार लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहा है, के मूल्यांकन के प्रयोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।