उत्तर प्रदेश
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य सरकार के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वर्ष के लिए (वर्ष 2024 की रिपोर्ट संख्या 04)
दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Thu 01 Aug, 2024
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि:
क्षेत्र
वित्त
अवलोकन
भारत के सी0ए0जी0 का यह प्रतिवेदन वर्ष 2022-23 हेतु राज्य के वित्त पर है। यह वित्त, बजट प्रबन्धन और लेखाओं की गुणवत्ता, वित्तीय रिपोर्टिगं परम्पराएं तथा राज्य के वित्त से सम्बन्धित अन्य प्रकरणों का एक विहंगावलोकन प्रस्तुत करता है।
इस प्रतिवेदन की विषयवस्तु पर प्रकाश डालता है और महत्वपूर्ण आँकड़ों और पहलुओं के आशुचित्रों के माध्यम से, राजकोषीय संवहनीयता, बजट के आशय के सापेक्ष प्रदशर्न , राजस्व और व्यय अनुमान, भिन्नता के कारणों और इसके प्रभाव में अंर्तदृष्टि प्रदान करता है।
रिपोर्ट को पांच अध्यायों में संरचित किया गया है:
अध्याय I प्रतिवेदन के आधार एवं दृष्टिकोण तथा अन्तर्निहित आँकड़ों का वर्णन करता है एवं शासकीय लेखे की संरचना, बजटीय प्रक्रियाओं, प्रमुख सूचकांकों के सूक्ष्म राजकोषीय विश्लेषण एवं घाटे/अधिशेष सहित राज्य की राजकोषीय स्थिति का विहंगावलोकन प्रस्तुत करता है।
अध्याय II राज्य के वित्त का व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है तथा विगत वर्ष की तुलना में प्रमुख राजकोषीय समुच्चयों में महत्वपूर्ण परिवर्तनों, 2018-19 से 2022-23 की अवधि के दौरान समग्र प्रवृत्तियों, राज्य के ऋण की वस्तुस्थिति एवं राज्य के वित्त लेखे पर आधारित लाके लेखे के प्रमुख संव्यवहारो का विश्लेषण करता है।
अध्याय III राज्य के विनियोग लेखे पर आधारित है एवं राज्य सरकार के विनियोग एवं आवंटन प्राथमिकताओं की समीक्षा करता है तथा बजटीय प्रबंधन से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों से विचलन पर विवरण प्रस्तुत करता है।
अध्याय IV राज्य सरकार के विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा प्रस्तुत लेखाओ की गुणवत्ता एवं निर्धारित वित्तीय नियमो प्रक्रियाओ एवं निर्देशों के अनुपालन किए जाने की स्थिति पर व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
अध्याय V राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमा (एसपीएसई) मे निवेश, एसपीएसई के लेखाओं के प्रस्तुतीकरण एवं एसपीएसई के निवल मूल्य के क्षरण पर चर्चा करता है।
विभिन्न विभागो के निष्पादन लेखापरीक्षा एवं संव्यवहारो की लेखापरीक्षा के निष्कर्षों एवं सांविधिक निगमो बोर्डो एवं सरकारी कम्पनियो की लेखापरीक्षा से उत्पन्न आपत्तियों पर प्रतिवेदन तथा राजस्व प्राप्तियों के लेखापरीक्षा आपत्तियों से युक्त प्रतिवेदन अलग से प्रस्तुत किये जाते हैं।
यह प्रतिवेदन संविधान के अनुच्छेद 151 के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाने हेतु तैयार किया गया है।
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