लेखापरीक्षा रिपोर्ट

Rajasthan
प्रतिवेदन संख्या - 4 राजस्थान में जन स्वास्थ्य आधारभूत संरचना एवं स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर निष्पादन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन
अवलोकन
स्वास्थ्य, मानव विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक तथा आर्थिक और सामाजिक विकास का एक बुनियादी घटक है । नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत जन स्वास्थ्य आधारभूत संरचना और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी प्रबंधन महत्वपूर्ण है ।
यह निष्पादन लेखापरीक्षा राजस्थान राज्य में प्रदान की गई स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का मूल्यांकन है । इसमें जांच की गई कि क्या राजस्थान सरकार ने लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाओं की आधारभूत संरचना, औषधियों, दवाओं, उपकरणों और मानव संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समुचित उपाय किए हैं । निष्पादन लेखापरीक्षा में 2016-22 की अवधि को शामिल किया गया ।
लेखापरीक्षा में पाया गया कि प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में चिकित्सकों, विशेषज्ञों, नर्सों और पैरामेडिक्स की कमी थी । राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से परिभाषित एक भर्ती रणनीति को अपनाकर समयबद्ध तरीके से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी को दूर करना चाहिए और साथ ही राज्य भर में उनका समान वितरण सुनिश्चित करना चाहिए ।
लेखापरीक्षा में पाया गया कि राजकीय चिकित्सा संस्थानों (राचिसं) के आईपीडी में सामान्य शल्य चिकित्सा, शिशु रोग, अस्थि रोग, दुर्घटना और ट्रॉमा वार्ड जैसी न्यूनतम आवश्यक सेवाओं की कमी थी । राजकीय चिकित्सा संस्थानों की आपातकालीन, गहन चिकित्सा इकाईयों, ब्लड बैंक जैसी सेवाओं में भी कमियां पाई गईं । राज्य सरकार राज्य के राजकीय चिकित्सा संस्थानों में आईपीएचएस के अनुसार आवश्यक न्यूनतम सुनिश्चित सेवाओं जैसे सामान्य शल्य चिकित्सा, शिशु चिकित्सा, अस्थि रोग, आपातकालीन, गहन चिकित्सा इकाई, ब्लड बैंक आदि की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकती है ।
नमूना जांच किए गए राजकीय चिकित्सा संस्थानों में आईपीएचएस के अनुसार पर्याप्त रेडियोलॉजी (34 जिचि में से 12 जिचि में), पैथोलॉजी (सभी 34 जिचि में आंशिक रूप से उपलब्ध), आहार (34 जिचि में से 18 जिचि में), एम्बुलेंस (34 जिचि में से सात जिचि में) और मुर्दाघर (34 जिचि में से एक जिचि में) सेवाओं की अनुपलब्धता थी । राज्य सरकार को आईपीएचएस के अनुसार राज्य के राजकीय चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त सेवाऐं यथा रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी, आहार, एम्बुलेंस और मुर्दाघर सेवाऐं प्रदान करने के प्रयास करने चाहिए ।
राज्य के नमूना जांच किये गये राजकीय चिकित्सा संस्थानों और जिला औषधि भण्डारगृहों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता में कमी थी । राज्य सरकार चिकित्सालयों और औषधि भण्डारगृहों में आवश्यक औषधियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती है ।
लेखापरीक्षा में पाया गया कि चिकित्सा इकाईयों को जारी की गई दवाऐं, मांग की गई मात्रा से कम थीं और दर संविदाओं को अंतिम रूप देने में विलम्ब हुआ । यह भी देखा गया कि क्रय आदेश तब दिए गए जब सुरक्षित भण्डार निर्धारित सुरक्षित स्तर से काफी कम था । राज्य सरकार को पुन: आदेश बिंदु निर्दिष्ट करना चाहिए जिस पर क्रय आदेश दिए जायें और निर्धारित सुरक्षित भण्डार के संधारण के लिए क्रय आदेशों को सृजित करने हेतु एक व्यवस्थित प्रणाली तंत्र स्थापित करना चाहिए ।
प्रयोगशालाओं से गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने में देरी देखी गई जिसके कारण भण्डारगृहों द्वारा चिकित्सा इकाईयों को दवाऐं जारी करने में देरी हुई, जिससे चिकित्सा इकाईयों में दवाओं की अनुपलब्धता रही । राज्य सरकार औषधियों के नमूनों की समयबद्ध जांच और समय पर गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करना सुनिश्चित कर सकती है ।
नमूना जांच में पाया गया कि राजकीय चिकित्सा संस्थान ने स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट के बिना दवाऐं क्रय की । राज्य सरकार गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात ही राजकीय चिकित्सा संस्थान को औषधियां जारी करना सुनिश्चित कर सकती है ।
नमूना जांच किए गए राजकीय चिकित्सा संस्थान में विभिन्न श्रेणियों में भारतीय जन स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुसार अपेक्षित उपकरण उपलब्ध नहीं थे । राज्य सरकार आईपीएचएस के अनुसार राचिसं में आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके आवधिक रखरखाव और अंशांकन को सुनिश्चित कर सकती है ।
राज्य के रेगिस्तानी, जनजातीय और मैदानी क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की आधारभूत संरचना की कमी थी । राज्य सरकार के पास कमी को दूर करने और स्वास्थ्य देखभाल की आधारभूत संरचना की स्थापना के लिए, कमी वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देने हेतु कोई ठोस योजना नहीं थी । राज्य सरकार राज्य में भारतीय जन स्वास्थ्य मानकों के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों की उपलब्धता और सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल को सुलभ बनाने हेतु उनका समान वितरण सुनिश्चित कर सकती है ।
राज्य के राजकीय चिकित्सा संस्थानों (राचिसं) में पुरुष और महिला के लिए पृथक-पृथक शौचालय की सुविधाऐं, बिजली और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान में कमियां देखी गईं । राज्य सरकार को राज्य के समस्त राजकीय चिकित्सा संस्थानों में पृथक शौचालय सुविधाऐं, बिजली और पेयजल जैसी आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए|
पूंजीगत व्यय, स्वास्थ्य देखभाल पर कुल व्यय का केवल 6.67 प्रतिशत था । राज्य सरकार स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में पूंजीगत व्यय बढ़ाने के प्रयास कर सकती है ।
राजस्थान में कुल स्वास्थ्य व्यय में अवधि 2016-20 के दौरान, जेब से व्यय का प्रतिशत कम हो गया । हालाँकि, यह 2019-20 के दौरान कुल स्वास्थ्य देखभाल व्यय का 47.40 प्रतिशत था, जो राज्य में स्वास्थ्य देखभाल भुगतान के लिए परिवारों को कम वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध होने का संकेत देता है । राज्य सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुरूप, राज्य बजट के साथ-साथ सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र हेतु बजटीय आवंटन बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती है ।
राज्य में आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत स्थापित स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में आवश्यक जांचों की अनुपलब्धता, योग सत्रों का संचालन नहीं करना और वयस्कों में गैर-संचारी रोगों की अपर्याप्त जांच थी । राज्य सरकार आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के दिशानिर्देशों में परिकल्पित स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का उचित संचालन सुनिश्चित कर सकती है ।
औषधि निर्माण लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण में विलम्ब हुआ और किसी भी नमूना जांच की गई विनिर्माण इकाई का नियमित वार्षिक निरीक्षण नहीं किया गया । राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विनिर्माण लाईसेंस समयबद्ध तरीके से जारी और नवीनीकृत किये जाएं और वार्षिक निरीक्षण नियमित रूप से किया जाए ।
‘मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं’ औषधियों का निर्माण करने वाली फर्मों के विरुद्ध कार्रवाई में काफी विलंब हुआ । राज्य सरकार को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं होने वाली औषधियों के निर्माताओं के विरुद्ध समय पर और उचित कार्यवाही सुनिश्चित करने में विफलता के लिए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित करनी चाहिए ।
लेखापरीक्षा में पाया गया कि राजस्थान चिकित्सा परिषद की न तो संरचना और न ही उसकी कार्यप्रणाली राजस्थान चिकित्सा अधिनियम की आवश्यकताओं के अनुसार थी और राज्य फार्मेसी परिषद द्वारा राज्य में फार्मेसी निरीक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई थी । राज्य सरकार को राज्य चिकित्सा परिषद और राज्य फार्मेसी परिषद के कामकाज की निगरानी करनी चाहिए ताकि इन निकायों द्वारा प्रभावी विनियमन सुनिश्चित किया जा सके ।
राजस्थान ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के लिए कोई विजन/रोडमैप/रणनीति तैयार नहीं की थी । राज्य सरकार एसडीजी के साथ राज्य सरकार के विजन 2030 संरेखण में तेजी ला सकती है ।
ऑडिट रिपोर्ट डाउनलोड करें
-
प्रतिवेदन संख्या - 4 राजस्थान में जन स्वास्थ्य आधारभूत संरचना एवं स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर निष्पादन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन
(24.17 एमबी) डाउनलोड
-
विषय सूची
(22.82 एमबी) डाउनलोड
-
प्राक्कथन
(22.83 एमबी) डाउनलोड
-
कार्यकारी सारांश
(22.83 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -I
(24.16 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -II
(22.83 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -III
(22.85 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -IV
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -V
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -VI
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -VII
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -VIII
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
अध्याय -IX
(23.13 एमबी) डाउनलोड
-
परिशिष्ट
(23.13 एमबी) डाउनलोड