लेखापरीक्षा रिपोर्ट
Madhya Pradesh
प्रतिवेदन संख्या 1 वर्ष 2023 मध्य प्रदेश शासन - भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए (राजस्व सम्बद्ध विभाग )
अवलोकन
संक्षिप्त अवलोकन (अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 2020-21)
इस प्रतिवेदन में राज्य सरकार के दो विभागों से संबंधित चार अनुपालन लेखापरीक्षा सम्मिलित हैं जिनमें कुल रु. 324.63 करोड़ मूल्य के लेखापरीक्षा प्रेक्षण हैं।
वाणिज्यिक कर विभाग की अनुपालन लेखापरीक्षा में जीएसटी के तहत ट्रांजिशनल क्रेडिट के संबंध में अनानुपालन के 314 प्रकरण सामने आए जहां वाणिज्यिक कर विभाग ने करदाताओं द्वारा ट्रांजिशनल क्रेडिट दावों को सत्यापित करने के लिए कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया था। अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अनुपालन की लेखापरीक्षा में जीएसटी के अन्तर्गत नहीं आने वाले माल पर अस्वीकार्य आईटीसी का लाभ उठाने, गलत तरीके से प्राप्त ट्रांजिशनल क्रेडिट के रिवर्सल पर ब्याज का भुगतान न करने, इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में अतिरिक्त राशि के जमा किये जाने, ट्रान-1 में अधिक/अनियमित क्रेडिट को अग्रेषित किये जाने और अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अनुपालन न होने के कारण अस्वीकार्य ट्रांजिशनल क्रेडिट आदि का दावा किये जाने के विभिन्न दृष्टांत पाये गये। इन कमियों का कुल राजस्व प्रभाव रु. 86.93 करोड़ का था। इसके अलावा, जीएसटी के तहत रिफंड दावों के प्रसंस्करण की लेखापरीक्षा में पावती जारी करने, रिफंड आदेश जारी करने आदि में देरी के मामले सामने आए। आगे, इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के रिफंड, कैपिटल गुड्स पर रिफंड आदि के प्रकरणों की लेखापरीक्षा से व्यवसायियों को किए गए अतिरिक्त रिफंड, अनियमित भुगतान, अस्वीकार्य रिफंड आदि का पता चला। इन कमियों का कुल राजस्व प्रभाव रु. 10.36 करोड़ का था। मध्यप्रदेश वैट अधिनियम, 2002 की धारा 20 के तहत प्रकरणों के आंकलन के संबंध में वाणिज्यिक कर विभाग की एक अन्य लेखापरीक्षा यह आंकलन करने के लिए की गयी थी कि क्या कर योग्य टर्नओवर ठीक से निर्धारित किया गया था और कर की उचित दरें लागू की गई थी, और क्या इनपुट टैक्स छूट का दावा और अनुमति ठीक से दी गई थी। निर्धारणों में चूक संबंधी कमियों पर विभिन्न लेखापरीक्षा टिप्पणियों का कुल राजस्व प्रभाव रु. 21.13 करोड़ का था। खनिज संसाधन विभाग पर अनुपालन लेखापरीक्षा में अनियमितताएँ सामने आईं जैसे कि मण्डल और कार्यकारी समिति की पर्याप्त बैठक का आयोजन न करना, खनन प्रभावित क्षेत्र और प्रभावित लोगों की सूची जैसे बुनियादी अभिलेखों का रखरखाव न करना, देय और भुगतान की गई डीएमएफ राशि का रजिस्टर न बनाना, चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा डीएमएफ खातों की अपर्याप्त और अनियमित लेखापरीक्षा, वार्षिक प्रतिवेदन तैयार न करना, जिलेवार डीएमएफ डेटा और वेबसाइट में इसकी गतिविधियों को प्रदर्शित न करना आदि। इसके अलावा, डीएमएफ के निधि प्रबंधन की लेखापरीक्षा ने डीएमएफ में कम योगदान से संबंधित अनियमितताओं का खुलासा किया जैसे की पट्टेदारों द्वारा रेत से डीएमएफ में हुए योगदान का उपयोग न करना, विलंबित भुगतानों पर ब्याज न वसूला जाना, डीएमएफ में निधि का व्यर्थ पड़े रहना, कार्य निष्पादन करने वाली एजेंसियों से अप्रयुक्त राशि की वसूली न होना आदि। साथ ही, डीएमएफ से निष्पादित विभिन्न कार्यों की लेखापरीक्षा में निर्माण एवं मरम्मत कार्यों में अनियमितताएं, कार्य पूर्ण होने में विलम्ब, प्रारंभ नहीं किये गये कार्यों में अग्रिमों की वसूली न होना तथा ठेकेदारों को किए गए भुगतान आदि में अनियमितता का पता चला। इन कमियों का कुल राजस्व प्रभाव रु. 206.21 करोड़ का था।
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प्रतिवेदन संख्या 1 वर्ष 2023 मध्य प्रदेश शासन - भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए (राजस्व सम्बद्ध विभाग ) (3.41 एमबी) डाउनलोड