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ऑडिट रिपोर्ट

वित्तीय
Delhi

वर्ष 2020 की प्रतिवेदन सं – 2 भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए - राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Tue 05 Jul, 2022
सरकार के प्रकार
राज्य
क्षेत्र वित्त

अवलोकन

यह प्रतिवेदन सरकार के वार्षिक लेखों का विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रदान करता है। इस प्रतिवेदन में तीन अध्याय है।

रा.रा.क्षे.दि.स. के वित्त पर अध्याय 1 वर्ष 2018-19 के दौरान राजस्व प्राप्तियों की पूर्व वर्ष की तुलना में 11.50 प्रतिशत तक वृद्धि को प्रदर्शित करता है। यह मुख्यतः जीएसटी के कार्यान्वयन से होने वाले राजस्व की हानि की बजाय ₹ 4,182 करोड़ के मुआवजे की प्राप्ति के कारण सहायता अनुदान में ₹ 3,660 करोड़ (167.58 प्रतिशत) की वृद्धि के कारण हुआ। भारत सरकार से सहायता अनुदान ₹ 2,184 करोड़ (2017-18) से बढ़कर ₹ 5,844 करोड़ (2018-19) हो गया। 2018-19 के दौरान कुल व्यय में पूर्व वर्ष की तुलना में 8.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 1998-2019 के दौरान दिल्ली जल बोर्ड को संवितरित ₹ 28,011 करोड़ की राशि के ऋणों के प्रति 31 मार्च 2019 को बकाया ₹ 27,660 करोड़ को छोड़कर केवल ₹ 351 करोड़ का भुगतान किया गया। 31 मार्च 2019 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम तथा दक्षिण दिल्ली नगर निगम के क्रमशः ₹ 2,038 करोड़, ₹ 1,396 करोड़ तथा ₹ 319 करोड़ की राशि के ऋण बकाया थे। रा.रा.क्षे. दिल्ली 2014-15 से 2018-19 तक पिछले पांच वर्षों की तुलना में अतिरेक राजस्व बनाएं रखने में सक्षम रहा है।

वित्तीय प्रबंधन तथा बजटीय नियंत्रण पर अध्याय 2 दर्शाता है कि ₹ 58,177.14 करोड़ के कुल प्रावधान के प्रति ₹ 46,344.56 करोड़ का व्यय किया गया जिसके परिणामस्वरूप ₹ 11,832.58 करोड़ (20.34 प्रतिशत) की बचत हुई। 14 उप-शीर्षों के संबंध में ₹ 2,112.83 करोड़ सम्मिलित करते हुए पर्याप्त अभ्यर्पण किया गया जिसमें से छः उप-शीर्षों में ₹ 1,297 करोड़ की राशि का शतप्रतिशत अनुदान अभ्यर्यित किया गया।

वित्तीय प्रतिवेदन पर अध्याय 3 बताता है कि विभिन्न अनुदानग्राही संस्थानों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्रों की प्रस्तुति में पर्याप्त विलंब थे तथा परिणामस्वरूप अनुदानों की उचित उपयोगिता को सुनिश्चित नहीं किया जा सका। ₹ 5,089.55 करोड़ के उपयोगिता प्रमाणपत्र दस वर्षों तक की अवधि तक बकाया थे जबकि ₹ 79.45 करोड़ को सम्मिलित करते हुए 1,062 उ.प्र. दस वर्षों से अधिक से बकाया थे। 31 मार्च 2019 तक ₹ 682.98 करोड़ के सार आकस्मिक बिलों के प्रति ₹ 118.54 करोड़ (17.36 प्रतिशत) के विस्तृत प्रतिहस्ताक्षरित आकस्मिक बिल प्राप्त हुए तथा ₹ 564.44 करोड़ के सार आकस्मिक बिलों के बकाया शेष रह गए।

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