संघ और राज्यों के खातों को संकलित करने के लिए नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
10.
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक जिम्मेदार होगा-
संघ और हर एक राज्य के लेखाओं का संकलन उन प्रारम्भिक और सहायक लेखाओं से करना जो ऐसे लेखाओं के रखने के लिये जिम्मेदार खजानों, कार्यालयों या विभागों द्वारा उसके नियंत्रण के अधीन लेखापरीक्षा और लेखा कार्यालयों को दिये जाएं; और
खण्ड (क) में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी के संबंध में ऐसे लेखाओं को रखना जो आवश्यक हों:
परन्तु राष्ट्रपति, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा, उसे निम्नलिखित का संकलन करने की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर सकेगा-
संघ के उक्त लेखे (या तो तत्काल या विभिन्न आदेश जारी करके धीरे-धीरे); अथवा
संघ की किन्हीं विशिष्ट सेवाओं अथवा विभागों के लेखे:
इसके अतिरिक्त किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के पूर्व अनुमोदन से और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा, उसे निम्नलिखित का संकलन करने की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर सकेगा।
राज्य के उक्त लेखे (या तो तत्काल या विभिन्न आदेश जारी करके धीरे धीरे); अथवा
राज्य की किन्हीं विशिष्ट सेवाओं अथवा विभागों के लेखे:
परन्तु यह भी कि राष्ट्रपति, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा उसे किसी विशिष्ट वर्ग या प्रकार के लेखाओं को रखने की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर सकेगा।
जब, किसी व्यवस्था के अधीन, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से भिन्न कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व, निम्नलिखित के लिये जिम्मेदार रहा है, अर्थात् –
संघ या किसी राज्य की किसी विशिष्ट सेवा या विभाग के लेखाओं का संकलन करना; अथवा
किसी विशिष्ट वर्ग या प्रकार के लेखाओं को रखना, तब ऐसी व्यवस्था, उपधारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी तब तक प्रवृत्त बनी रहेगी जब तक कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् वह खंड (i) में निर्दिष्ट दशा में यथास्थिति राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल के आदेश द्वारा और खंड (ii) में निर्दिष्ट दशा में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निरस्त नहीं कर दी जाती।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का लेखाओं को तैयार करना और राष्ट्रपति को, राज्यों के राज्यपालों को और जिन संघ राज्यक्षेत्रों में विधान सभाएं है उनके प्रशासकों को भेजना।
11. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक अपने द्वारा या सरकार द्वारा या उस निमित्त जिम्मेदार किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संकलित किये गये लेखाओं से हर वर्ष संबद्ध शीर्षकों के अधीन संघ के प्रत्येक राज्य के और प्रत्येक ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के, जिसमें विधान सभा है, प्रयोजनों के लिए, वार्षिक प्राप्तियां और संवितरण दिखाने वाले लेखे (जिनके अंतर्गत, उसके द्वारा संकलित लेखाओं की दशा में, विनियोग लेखे भी है), तैयार करेगा और उन लेखाओं को यथास्थिति, राष्ट्रपति को या राज्यपाल या जिस संघ राज्यक्षेत्र में विधान सभा है, उसके प्रशासक को ऐसी तारीखों को या उनके पूर्व जो वह संबद्ध सरकार की सहमति से अवधारित करे, भेजेगाः
परन्तु राष्ट्रपति, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा, उसे संघ के अथवा ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के, जिसमें विधान सभा है, प्रयोजन के लिये वार्षिक प्राप्तियों और संवितरणों से संबंधित लेखे तैयार करने और भेजने की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर सकेगा।
इसके अतिरिक्त किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के पूर्व अनुमोदन से और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा, उसे उस राज्य के प्रयोजन के लिये वार्षिक प्राप्तियों और संवितरणों से संबंधित लेखे तैयार करने और भेजने की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर सकेगा।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का संघ और राज्यों को जानकारी देना और उनकी सहायता करना
12. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, जहां तक कि वह उन लेखाओं से जिनके संकलन या रखे जाने के लिये वह जिम्मेदार है समर्थ हो, यथास्थिति, संघ सरकार को, राज्य सरकारों को और उन संघ राज्यक्षेत्रों की सरकारों को जिनमें विधान सभाएं है ऐसी जानकारी देगा जिसकी वे समय-समय पर अपेक्षा करें और उनके वार्षिंक वित्तीय विवरणों की तैयारी में ऐसी सहायता करेगा जिसकी वे उचित रूप से मांग करे।
लेखा परीक्षा से संबंधित सामान्य प्रावधान
13.नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का यह कर्तव्य होगा कि वह –
भारत की और प्रत्येक राज्य की और प्रत्येक ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में से किये गये व्यय की लेखापरीक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि क्या वे धनराशियां जो लेखाओं में संवितरित की गई दिखाई गई है, उस सेवा या प्रयोजन के लिये जिसके लिये वे लागू की गई या प्रभारित की गई है वैध रूप से उपलब्ध या लागू थीं और क्या वह व्यय उसे शासित करने वाले प्राधिकार के अनुरूप है;
आकस्मिकता निधि और लोक लेखाओं के संबंध में संघ और राज्यों के सभी संव्यवहारों की लेखापरीक्षा करे;
संघ के या किसी राज्य के किसी विभाग में रखे गये सभी व्यवसाय, विनिर्माण, लाभ और हानि लेखाओं तथा तुलनपत्रों और अन्य सहायक लेखाओं की लेखापरीक्षा करे/और हर एक दशा में अपने द्वारा इस प्रकार लेखापरीक्षित व्यय, संव्यवहारों या लेखाओं की बाबत रिपोर्ट दे।
संघ या राज्य के राजस्वों से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकायों या प्राधिकरणों की प्राप्तियों तथा व्यय की लेखापरीक्षा
14.
जहां किसी निकाय या प्राधिकरण का पर्याप्त वित्तपोषण भारत की या किसी राज्य की या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में से अनुदानों या उधारों से किया जाता है, वहां नियंत्रक-महालेखपरीक्षक, यथास्थिति, उस निकाय या प्राधिकरण पर तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उस निकाय या प्राधिकरण की सभी प्राप्तियों तथा व्यय की लेखापरीक्षा करेगा और इस प्रकार अपने द्वारा लेखापरीक्षित प्राप्तियों और व्यय की बाबत रिपोर्ट देगा।
स्पष्टीकरण: - जहां भारत की या किसी राज्य की या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में से किसी निकाय या प्राधिकरण को दिया गया अनुदान या उधार किसी वित्तीय वर्ष में पच्चीस लाख रूपये से कम नहीं है और ऐसे अनुदान या उधार की रकम उस निकाय या प्राधिकरण के कुल व्यय के पचहत्तर प्रतिशत से कम नहीं है, वहां इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये यह समझा जाएगा कि उस निकाय या प्राधिकरण का पर्याप्त वित्तपोषण, यथास्थिति, ऐसे अनुदानों या उधारों से किया जाता है।
उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, यथास्थिति, राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या ऐसे संघ राज्य क्षेत्र के, जिसमें विधान सभा है, प्रशासक के पूर्व अनुमोदन से किसी निकाय या प्राधिकरण को, जहां ऐसे निकाय या प्राधिकरण को, यथास्थिति भारत की या किसी राज्य की या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की, जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में से किसी वित्तीय वर्ष में दिए गए अनुदान या उधार एक करोड़ रूपये से कम नहीं है, वहां सभी प्राप्तियों और व्यय की लेखापरीक्षा कर सकेगा।
जहां किसी निकाय या प्राधिकरण की प्राप्तियों और व्यय की उपधारा (1) या उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट बातों की पूर्ति के फलस्वरूप, किसी वित्तीय वर्ष में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा लेखापरीक्षा की जाती है वहां वह उस निकाय या प्राधिकरण की प्राप्तियों और व्यय की लेखापरीक्षा इस बात के होते हुए भी दो वर्ष की अतिरिक्त अवधि तक करता रहेगा कि उपधारा (1) या उपधारा (2) में निर्दिष्ट शर्तें उन दो बाद के वर्षों में से किसी के दौरान पूरी नहीं की जाती है।
अन्य प्राधिकरणों या निकायों को दिये गए अनुदानों या उधारों की दशा में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्य
15
जहां भारत की या किसी राज्य की या किसी ऐसे संघ राज्य क्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में से कोई अनुदान या उधार किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिये किसी ऐसे प्राधिकरण या निकाय को दिया जाता है जो विदेशी राज्य या अंतर्राष्ट्रीय संगठन नहीं है वहां नियंत्रक-महालेखापरीक्षक उन प्रक्रियाओं की संवीक्षा करेगा जिनसे मंजूरी देने वाला प्राधिकारी उन शर्तों की पूर्ति के बारे में अपना समाधान करता है जिनके अधीन ऐसे अनुदान या उधार दिये गए और इस प्रयोजन के लिये उसे, उस प्राधिकरण या निकाय की बहियों और लेखाओं तक, उचित पूर्व सूचना देने के पश्चात् पहुंच का अधिकार होगाः
परन्तु यदि, यथास्थिति, राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के जिसमें विधान सभा है, प्रशासक की यह राय हो कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् आदेश द्वारा उसे ऐसे अनुदान या उधार प्राप्त करने वाले किसी निकाय या प्राधिकरण की बाबत कोई ऐसी संवीक्षा करने से अवमुक्त कर सकेगा।
(2) उस दशा के सिवाय जबकि वह, यथास्थिति, राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल या ऐसे संघ राज्य क्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, के प्रशासक द्वारा ऐसा करने के लिये प्राधिकृत है, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को, उस समय जबकि वह उपधारा (1) द्वारा उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो, किसी ऐसे निगम की, जिसे कोई ऐसा अनुदान या उधार दिया जाता है जैसा उपधारा (1) में निर्दिष्ट है, बहियों और लेखाओं तक पहुंच का अधिकार नहीं होगा यदि वह विधि, जिसके द्वारा या जिसके अधीन ऐसा निगम स्थापित किया गया है ऐसे निगम के लेखाओं की लेखापरीक्षा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से भिन्न किसी अभिकरण द्वारा किये जाने का उपबन्ध करती है।
परन्तु ऐसा कोई प्राधिकार तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श नहीं कर लिया जाता और जब तक संबद्ध निगम को उसकी बहियों और लेखाओं तक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को पहुंच का अधिकार देने की प्रस्थापना के बाबत अभ्यावेदन करने का समुचित अवसर नहीं दे दिया जाता।
संघ की या राज्यों की प्राप्तियों की लेखापरीक्षा
16.नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का कर्त्तव्य होगा कि वह उन सभी प्राप्तियों की लेखापरीक्षा करे जो भारत की और प्रत्येक राज्य की और प्रत्येक ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की जिसमें विधान सभा है, संचित निधि में संदेय है और अपना समाधान कर ले कि उस बारे में सभी नियम और प्रकियाएं राजस्व के निर्धारण, संग्रहण और उचित आंबटन की प्रभावपूर्ण जांच पड़ताल सुनिश्चित करने के लिये परिकल्पित है और उसका सम्यक रूप से अनुपालन किया जा रहा है और इस प्रयोजन के लिये लेखाओं की ऐसे परीक्षा करें जो वह ठीक समझे और उनकी बाबत रिपोर्ट दे।
भण्डारों और स्टॉक के लेखाओं की लेखा परीक्षा
17.नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को संघ या किसी राज्य के किसी कार्यालय या विभाग में रखे गए भण्डारों या स्टॉक के लेखाओं की लेखापरीक्षा करने और उनकी बाबत रिपोर्ट देने का प्राधिकार होगा।
लेखाओं की लेखापरीक्षा के संबंध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की शक्तियां
18.
इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों के पालन के संबंध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को प्राधिकार होगा कि वह-
संघ के या किसी राज्य के नियंत्रण के अधीन किसी लेखा कार्यालय का निरीक्षण करे जिसके अंतर्गत खजाने और प्रारम्भिक या सहायक लेखाओं को रखने के लिये जिम्मेदार ऐसे कार्यालय भी है जो उसे लेखे भेजते है;
यह अपेक्षा करे कि कोई लेखे, बहियां, कागजपत्र या अन्य दस्तावेज, जो ऐसे संव्यवहारों के बारे में हों या उनका आधार हो या उनसे अन्यथा सुसंगत हों जिन तक लेखापरीक्षा से संबंधित उसके कर्तव्यों का विस्तार है, ऐसे स्थान पर भेज दिये जाऐ जिसे वह अपने निरीक्षण के लिये नियत करे;
कार्यालय के प्रभारी व्यक्ति ऐसे प्रश्न पूछे या ऐसी टीका-टिप्पणी करे जो वह ठीक समझे और ऐसी जानकारी मांगे जिसकी उसे किसी ऐसे लेखे या रिपोर्ट की तैयारी के लिए अपेक्षा हो, जिसे तैयार करना उसका कर्तव्य है।
किसी ऐसे कार्यालय या विभाग का प्रभारी व्यक्ति, जिसके लेखाओं का निरीक्षण या लेखापरीक्षा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा की जानी है ऐसे निरीक्षण के लिये सभी सुविधाएं देगा और जानकारी के लिये किए गए अनुरोधों की यथासम्भव पूरे तौर पर समुचित शीघ्रता से पूर्ति करेगा।
सरकारी कम्पनियों और निगमों की लेखापरीक्षा
19.
सरकारी कंपनियों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के संबंध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों का पालन और प्रयोग उसके द्वारा कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों के अनुसार किया जाएगा।
संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगमों के (जो कंपनियां न हों) लेखाओं की लेखापरीक्षा के संबंध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों का पालन और प्रयोग उसके द्वारा संबंधित विधानों के उपबंधों के अनुसार किया जाएगा।
किसी राज्य का राज्यपाल या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र, जिसमें विधान सभा है, का प्रशासक, जब उसकी यह राय हो कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है तब नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से अनुरोध कर सकेगा कि वह यथास्थिति, राज्य के या संघ राज्यक्षेत्र के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि के अधीन स्थापित किसी निगम के लेखाओं की लेखापरीक्षा करे और जब ऐसा अनुरोध किया गया है तब, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ऐसे निगम के लेखाओं की लेखापरीक्षा करेगा और ऐसी लेखापरीक्षा के प्रयोजनों के लिये उसे निगम के लेखाओं और बहियों तक पहुंच का अधिकार होगाः
परंतु ऐसा कोई अनुरोध तब तक नहीं किया जाएगा जब तक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श नहीं कर लिया जाता और जब तक निगम को ऐसी लेखापरीक्षा की प्रस्थापना की बाबत अभ्यावेदन करने का समुचित अवसर नहीं दे दिया जाता।
सरकारी कंपनियों और निगमों के लेखाओं के संबंध में रिपोर्टों का रखा जाना
19 क
धारा 19 में निर्दिष्ट किसी सरकारी कंपनी या किसी निगम के लेखाओं के संबंध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्टें सरकार को या संबंधित सरकारों को प्रस्तुत की जाएंगी।
केंद्रीय सरकार उपधारा (1) के अधीन अपने द्वारा प्राप्त प्रत्येक रिपोर्ट को उसके प्राप्त होने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी।
राज्य सरकार उपधारा (1) के अधीन अपने द्वारा प्राप्त प्रत्येक रिपोर्ट को उसके प्राप्त होने के पश्चात् यथाशीघ्र राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवायेगी।
स्पष्टीकरण: - इस धारा के प्रयोजन के लिये ऐसे किसी संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में, जिसमें विधान सभा है "सरकार " या "राज्य सरकार " से उस संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासक अभिप्रेत है।
कतिपय प्राधिकरणों या निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा
20.
धारा 19 में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, जहां किसी निकाय या प्राधिकरण के लेखाओं की लेखापरीक्षा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन नहीं सौंपी गई है, वहां यदि, उससे, यथास्थिति राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के, जिसमें विधान सभा है, के प्रशासक द्वारा ऐसा करने का अनुरोध किया गया तो वह ऐसे निकाय या प्राधिकरण के लेखाओं की लेखापरीक्षा ऐसे निबंधनों और शर्तों पर करेगा जो उसके और संबद्ध सरकार के बीच अनुबंधित पाए जाएं, और ऐसी लेखापरीक्षा के प्रयोजनों के लिये उस निकाय या प्राधिकरण की बहियों और लेखाओं तक पहुंच का अधिकार होगाः
परन्तु ऐसा कोई अनुरोध तब तक नहीं किया जाएगा जब तक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श नहीं कर लिया जाता।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, यथास्थिति राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के जिसमें विधान सभा है, के प्रशासक से किसी ऐसे निकाय या प्राधिकरण के, जिसके लेखाओं की लेखापरीक्षा उसे विधि द्वारा नहीं सौंपी गई है, लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिये प्राधिकृत करने की प्रस्थापना उस दशा में कर सकेगा जब उसकी यह राय हो कि ऐसी लेखापरीक्षा इस कारण आवश्यक है कि केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा या ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की, जिसमें विधान सभा है, सरकार द्वारा, ऐसे निकाय या प्राधिकरण में पर्याप्त रकम विनिहित की गई है या उसे उधार दी गई है, और, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल या प्रशासक ऐसा अनुरोध किये जाने पर नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को ऐसे निकाय या प्राधिकरण के लेखाओं की लेखापरीक्षा करने के लिये प्राधिकृत कर सकेगा।
उपधारा (1) या उपधारा (2) में निर्दिष्ट लेखापरीक्षा, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को तब तक नहीं सौंपी जाएगी जब तक, यथास्थिति, राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के जिसमें विधान सभा है, के प्रशासक का समाधान नहीं हो जाता कि ऐसा करना लोकहित में फायदेमंद है और जब तक संबद्ध निकाय या प्राधिकरण को ऐसी लेखापरीक्षा की प्रस्थापना के बारे में अभ्यावेदन करने का समुचित अवसर नहीं दे दिया जाता।