भारत के नियन्त्रक - महालेखा परीक्षक से संबन्धित सावधानिक प्रविधान
भारत के नियंत्रक- महालेखापरीक्षक
भारत का एक नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक होगा, जिसे राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर एवं मुहर के तहत वारंट द्वारा नियुक्त किया जाएगा और उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधार पर ही पद से हटाया जाएगा।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति, अपने पद पर प्रवेश करने से पहले, राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का वेतन और सेवा की अन्य शर्तें ऐसी होंगी जो संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं और, जब तक वे निर्धारित नहीं हो जातीं, दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट अनुसार होंगी:
बशर्ते कि न तो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का वेतन और न ही अनुपस्थिति की छुट्टी, पेंशन या सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के बाद उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन किया जाएगा।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अपना पद छोड़ने के बाद भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन आगे पद के लिए पात्र नहीं होगा।
इस संविधान के प्रावधानों और संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के अधीन, भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत व्यक्तियों की सेवा की शर्तें और नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की प्रशासनिक शक्तियां ऐसी होंगी जो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यालय के प्रशासनिक खर्च, जिसमें उस कार्यालय में सेवारत व्यक्तियों को या उनके संबंध में देय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि से वसूले जाएंगे।
नियंत्रक महा लेखा परीक्षक के कर्तव्य और शक्तिया :-
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक संघ और राज्यों और किसी अन्य प्राधिकरण या निकाय के खातों के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत या उसके तहत निर्धारित किए जा सकते हैं और, जब तक कि इस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक वह संघ और राज्यों के खातों के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के शुरू होने से ठीक पहले भारत के महालेखापरीक्षक द्वारा क्रमशः भारत डोमिनियन और प्रांतों के खातों के संबंध में प्रदान किए गए थे या प्रयोग किए जाने योग्य थे।
संघ के और राज्यो के लेखाओ का प्रारूप
संघ और राज्यों के खाते ऐसे प्रारूप में रखे जाएंगे जो भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सलाह पर राष्ट्रपति निर्धारित करें।
लेखक़ा परीक्षक प्रतिवेदन
संघ के खातों से संबंधित भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
किसी राज्य के खातों से संबंधित भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को सौंपी जाएगी, जो उन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखवाएगा।