अवलोकन और कार्य
कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा-II), म. प्र. भोपाल जो भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का एक हिस्सा है, भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के रुप में कार्य करता है।
कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा-II), म. प्र. भोपाल,1 मार्च 1984 को भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग के पुर्नगठन और विभाग में लेखापरीक्षा और लेखा कार्यो को अलग करने की अगली कड़ी के रुप में अस्तित्व में आया।
महालेखाकार की अध्यक्षता में इस कार्यालय का मुख्यालय,53 अरेरा हिल्स, भोपाल में स्थित है जबकि शाखा कार्यालय ”ऑडिट भवन“ ग्वालियर मे स्थित है| कार्यालय का पुर्नगठन जून-जुलाई 2013 में किया गया था जब आर्थिक क्षेत्र-2 और आर्थिक क्षेत्र-3 विंग को ग्वालियर कार्यालय से भोपाल मे स्थानांतरित किया गया था और फिर जुलाई-अगस्त 2014 मे जब राजस्व क्षेत्र लेखापरीक्षा स्कन्ध को ग्वालियर से भोपाल स्थानांतरित किया गया था।कार्यालय को जून-जुलाई 2020 में फिर से पुर्नगठित किया गया और लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह(ले.प.प्र.स.) की अवधारणा पेश की गई।राज्य शासन के कार्यालयों के पुर्नगठन के बाद इस कार्यालय को पर्यावरण,विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार ( लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-1),शहरी स्थानीय निकाय,परिवहन,संस्कृति एवं पर्यटन( लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-2),राज्य,वित्त,उद्योगो एवं वाणिज्य ( लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-3),लोक निर्माण, उर्जा और विद्युत ( लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-4), इन समूहो के अंतर्गत विभागो की लेखापरीक्षा में राज्य सरकारो के विभागो के प्रशासनिक कार्यालय,उसके अधीनस्थ कार्यालयों,सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो,स्थानीय निकायों और स्वायत्त निकायों के प्रशासनिक कार्यालयो की लेखापरीक्षा शामिल है।
कार्यालय के प्रमुख कार्य
महालेखाकार ( लेखापरीक्षा-II), को निम्नलिखित विभागो/क्षेत्रो की लेखापरीक्षा का कार्य सौपा गया हैं
ऑडिट प्रबंधन समूह क्षेत्र
ए.एम.जी.- 1
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पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
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वित्त
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कृषि, खाद्य एवं संबद्ध उद्योग
ए.एम.जी.- 2
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लोक निर्माण
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उद्योग एवं वाणिज्य
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संस्कृति एवं पर्यटन
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जल संसाधन
ए.एम.जी.- 3
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वित्त (
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परिवहन
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उद्योग एवं वाणिज्य
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ऊर्जा (विद्युत शुल्क)
ए.एम.जी.- 4
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ऊर्जा
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सार्वजनिक उपक्रम
इस कार्यालय को उपर्युक्त विभागो से संबंधित अनुदानों के विनियोग लेंखो की लेखापरीक्षा भी सौंपी
गई है।इसके अलावा कार्यालय विश्व बैंक सहायता प्राप्त परियोजनाओं और केन्द्रीय/केन्द्र प्रायोजित
राज्य योजनाओं के संबंध में लेखा परीक्षा प्रमाण-पत्र भी जारी करता हैं।
लेखापरीक्षा का क्षेत्र
यह कार्यालय सरकारी व्यय के विभिन्न पहलुओं का परीक्षण करता है, जिसमें अन्य में शामिल है-
- निधियों के प्रावधानों के सापेक्ष लेखापरीक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए कि खातों में व्यय के रूप में दर्शायी गयी धनराशि उस उद्देशय के लिए अधिकृत थी जिसके लिए व्यय किया गया।
- नियमों एवं विनियमों के सापेक्ष लेखापरीक्षा यह देखने के लिए कि किया गया व्यय, सार्वजनिक धन को व्यय करने के लिए बनाए गए नियमों, विनियमों और विधि के अनुरूप था।
- व्यय की स्वीकृतियों की लेखापरीक्षा यह देखने के लिए कि व्यय का अनुमोदन शासन में सार्वजनिक धनराशि व्यय करने हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा किया गया।
- प्रोप्राइटी लेखा परीक्षा जो व्यय की मात्र औपचारिकता की जांच से परे अपनी बुद्धिमत्ता और मितव्ययिता तक फैली हुई है और अनुचित व्यय या सार्वजनिक धन की बर्बादी के मामलों को प्रकाश में लाने के लिए है।
- निष्पादन लेखापरीक्षा यह देखने के लिए कि शासकीय कार्यक्रमों ने निम्नतम् दर पर वांछित उद्देश्य और अभीष्ट लाभ प्राप्त किया।
- केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्राप्तियों की लेखापरीक्षा करते समय, यह कार्यालय जांच करता है कि क्या नियम और प्रक्रियाएं राजस्व के आंकलन, संग्रहण और आवंटन विधि संगत है तथा राजस्व में कोई रिसाव नहीं है जो कि सरकार को प्राप्त होना था।
- स्वतंत्रता के पश्चात्, आर्थिक विकास और समाज कल्याण की गतिविधियों में भारी उछाल आया है, व्यय से मिलान हेतु व्यय-राजस्व और पूंजी प्राप्तियों एवं ऋण में परिचर वृद्धि हुई है। सरकार के चरित्र में परिवर्तन और उसकी गतिविधियों की जटिल प्रकृति ने लेखापरीक्षा की प्रकृति और दायरे में बदलाव की मांग की। लेखापरीक्षा केवल लेखांकन और नियमितता जांच से सिस्टम के मूल्यांकन और सरकार के संचालन के अंतिम परिणाम, उनकी अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए विकसित हुई है।

