वित्तीय
दिल्ली

वर्ष 2021 की प्रतिवेदन सं – 2 भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए - राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Tue 05 Jul, 2022
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि:
सरकार के प्रकार:
राज्य
क्षेत्र वित्त

अवलोकन

राज्य वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवदेन 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए रा.रा.क्षे. दिल्ली की सरकार (रा.रा.क्षे.दि.स.) की वार्षिक लेखे और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कामकाज का विश्लेषनात्मक समीक्षा प्रदान करता है। इसमें पांच अध्याय है।

अध्याय I प्रतिवेदन का एक विहंगावलोकन है और इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2019-20 में दिल्ली का राजस्व अधिशेष ₹ 7,499 करोड़ इंगित करता है कि सरकार की राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं। भा.स. द्वारा वहन किए जाने वाले रा.रा.क्षे.दि.स. के कर्मचारियों की पेंशन देनदारियों के कारण बड़े पैमाने पर राजस्व अधिशेष बनाएं रखने में सक्षम रहा है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली पुलिस के व्यय भी गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वहन की जाती है। रा.रा.क्षे. दिल्ली का राजस्व अधिशेष जो 2015-16 में ₹ 1,332 करोड़ था 2019-20 में ₹ 416 करोड़ के घाटे में बदल गया।

अध्याय II राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के वित्त पर दर्शाता है कि पिछले वर्ष    की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में ₹ 4,023 करोड़ (9.33 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां 2018-19 में ₹ 1,644 करोड़ से 49.94 प्रतिशत घटकर 2019-20 में ₹ 823 करोड़ हो गई। पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में पूँजीगत व्यय ₹ 3,266 करोड़ से बढ़कर ₹ 5,472 करोड़ (67.54 प्रतिशत) हो गया। राजस्व व्यय कुल व्यय का 81.94 प्रतिशत था जबकि 2019-20 के लिए पूंजीगत व्यय एवं ऋणों और अग्रिमों का संवितरण क्रमशः 11.31 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत था। सब्सिडी पर व्यय 2015-16 में ₹ 1,867.61 करोड़ से बढ़कर 2019-20 में ₹ 3,592.94 करोड़ (92.38 प्रतिशत) हो गया। रा.रा.क्षे.दि.स. का ऋण ₹ 2,268.93 करोड़ (6.98 प्रतिशत) बढ़कर 2015-16 की शुरूआत  में ₹ 32,497.91 करोड़ से बढ़कर 2019-20 के अंत में ₹ 34,766.84 करोड़ हो गया।

अध्याय III बजटीय प्रबंधन पर प्रकाश डालाता है कि 2019-20 के दौरान ₹ 64,180.68 करोड़ (कुल बजट का 19.74 प्रतिशत) के कुल अनुदानों और विनियोगों के मुकाबले ₹ 12,670.65 करोड़ की कुल बचत हुई। 11 मामलों में ₹ 810.86 करोड़ की अनुपूरक अनुदान अनावश्यक साबित हुई।  ₹ 12,670.65 करोड़ की कुल बचत में से ₹ 3,289.96 करोड़ (25.97 प्रतिशत) की बचतें मार्च में अभ्यर्पित की गई। 2019-20 के दौरान ₹ 51,186.26 करोड़    (₹ 323.77 करोड़ की वसूली को छोड़कर) के कुल व्यय में से ₹ 16,207.83 करोड़ (31.66 प्रतिशत) का व्यय पिछले तिमाही में किया गया जबकि पिछले तिमाही का ₹ 2,355.21 करोड़ (31.66 प्रतिशत) मार्च 2020 के माह के दौरान व्यय किया गया।

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